पीबीएम अस्पताल के लगभग प्रत्येक वार्ड और गलियारे सूने पड़े हैं। कई वार्डों में इक्का-दुक्का मरीज ही भर्ती हैं, वो भी छुट्टी लेकर जाने का मानस बना चुके हैं। कैंसर अस्पताल, नैत्र अस्पताल, जनरल सहित अन्य वार्डों में बेड खाली नजर आ रहे हैं।
सरकारी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों की हड़ताल के कारण शहर के निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। वहां इलाज के लिए क्षमता से कहीं अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। हालांकि इन अस्पतालों में अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है। निजी अस्पतालों में पीबीएम जैसी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में मरीज और उनके परिजन परेशान हो रहे हैं।
सेवारत चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने पीबीएम अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं लगातार चरमराती जा रही हैं। हालांकि अस्पताल में अब नए मरीजों को भर्ती करना कम कर दिया है। वहीं भर्ती मरीजों को परिजन छुट्टी दिलवाकर निजी अस्पताल या घर ले जा रहे हैं। शनिवार को भी कुछ परिजन अपने मरीजों को छुट्टी दिलवाकर ले गए।
गिरफ्तारी के डर से तीन चिकित्सकों ने मेडिकल कॉलेज में ज्वॉइन कर लिया। इनके साथ ही मेडिकल कॉलेज में अब तक 11 सेवारत चिकित्सक ज्वॉइन कर चुके हैं। उधर, सेवारत चिकित्सकों के समर्थन में सीनियर रेजीडेंट्स व रेजीडेंट्स के बाद मेडिकल कॉलेज के इंटर्न छात्रों ने भी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। उन्होंने शनिवार को एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को ज्ञापन दिया।
पीबीएम में चिकित्सकों के कार्य पर नहीं आने से परिजन मरीज को इलाज के लिए दूसरी जगह ले जाते दिखे। कार्यवाहक जिला कलक्टर यशवंत भाकर ने बैठक में आर्मी एवं बीएसएफ के अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए चिकित्सक उपलब्ध करवाने संबंधित विचार विमर्श किया। इस दौरान दो डॉक्टरों की अस्थाई नियुक्तिआदेश जारी किए गए। वहीं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा दो चिकित्सकों की सुविधा का विश्वास दिलाया गया।