डॉ. सुरेन्द्र बेनीवाल ने बताया कि कैंसर अस्पताल में हर साल दो से ढाई हजार ब्लड कैंसर व मल्टीपल माइलोमा के मरीज आते हैं। इनमें से २० प्रतिशत को बोनमैरो ट्रांसप्लांट करने की जरूरत होती है, लेकिन एक-दो मरीज की इसे करवा पाते हैं। यहां सुविधा नहीं होने से उन्हें दूसरे शहरों में जाकर इलाज लेना पड़ रहा है। अब बीकानेर में यह सुविधा शुरू होने से मरीज को राहत मिली है।
डॉ. पंकज टांटिया ने बताया कि बीकानेर में पहला ट्रांसप्लांट हुआ है। अब दो मरीजों का इलाज और शुरू करेंगे, ताकि तीनों मरीज एक साथ स्वस्थ हो जाएं। दोनों मरीजों को गुरुवार को भर्ती किया जाएगा। बोनमैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में दो से तीन दिन का समय लगता है।
प्राचार्य डॉ. अग्रवाल ने बताया कि डॉ. भार्गव अब तक एक हजार मरीजों का बोनमैरो ट्रांसप्लांटेशन कर चुके हैं। वे यहां मरीजों की संख्या के अनुसार हर १५ दिन में आएंगे। साथ ही स्थानीय चिकित्सकों की ऑनलाइन परामर्श देते रहेंगे।
डॉ. राहुल ने बताया कि बीकानेर में आचार्य तुलसी कैंसर क्षेत्रीय अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र प्रदेश का बेहतरीन सेंटर है। यहां बोनमैरो ट्रांसप्लांटेशन की सुविधा जयपुर से भी बेहतर है। जयपुर में दो बिस्तर का सेंटर है, जबकि बीकानेर में चार बिस्तर का है। वहीं इस उपलब्धि पर हुई प्रेसवार्ता में अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. एलए गौरी, पीबीएम अधीक्षक डॉ. पीके बैरवाल, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के लूनकरण छाजेड़, जेठमल बोथरा, मूलचंद डागा उपस्थित थे।
बोनमैरो ट्रांसप्लांट से मरीज दस साल और जीने का माद्दा रखता है। इससे बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं होती, लेकिन कंट्रोल हो जाती है। मरीज पांच से दस साल और स्वस्थ जीवन जी सकता है।
डॉ. राहुल भार्गव, बोनमैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ