करीब तीन सौ के करीब कुरजां गजनेर पहुंच चुकी है। अलसुबह भोजन की तलाश में कुरजां का कृषि नलकूपों सहित नहरी क्षेत्र के खेतों की ओर चली जाती है और शाम को वापस झील पर लौट आती है। कुरजां का मैदान में डेरा डालने से विदेशी सैलानियों को इन्हें कैमरे मे कैद करने के लिए मशक्कत करनी पड रही है।
प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के बाद कुरजां का आगमन शुरू होता है जो नवम्बर अंितम सप्ताह तक जारी रहता है। इसके अलावा अन्य देशी-विदेशी प्रजातियों के पक्षी भी झील पर पहुंचते हैं। इसमें डबचिक, वाटर क्रो, इम्पीरियल सेड ग्रोस, पीजन, स्टेपी इगल, नार्दन पिटल, पोचार्ड, ग्रे हैरान, ग्रीन लैंड, कोमोरेट मालार्ड टील, इम्पीरियल फैन, किंगफिशर आदि शामिल है।
यह पक्षी क्षेत्र में गर्मी की दस्तक के साथ ही अपने वतन की ओर उडान भरना शुरू कर देते है। जानकारों की मानें तो पहले के मुकाबले पक्षियों की संख्या में प्रतिवर्ष कमी आ रही है जो पक्षी प्रेमियों के लिए चिन्ता का विषय बना है। फिलहाल गजनेर पैलेस झील पर सुबह-शाम पक्षियों के कलरव से रौनक बनी है।