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बीकानेर

गणगौर प्रतिमाओं का पूजन, खोळा भरने की हुई रस्म

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1 year ago
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धुलंडी के दिन से चल रहा गणगौर पूजन उत्सव परवान पर है। घर-घर और गली-मोहल्लों में गणगौर प्रतिमाओं का पूजन कर बासा देने और गणगौरी गीतों के गायन का क्रम चल रहा है। शुक्रवार को राणीसर बास में बाबा रामदेव ट्रस्ट की ओर से गणगौर पूजन उत्सव का आयोजन किया गया। ट्रस्ट व श्रद्धालुओं की ओर से इस दौरान पहुंची गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, भोग अर्पित करने और खोळा भरने की रस्म हुई।

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बालिकाओं व महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं के समक्ष पारंपरिक गणगौरी गीतों के गायन के बीच नृत्य प्रस्तुत किए। पुजारी बाबा गवरजा मंडली, प्रेम पणिया आदि की ओर से गणगौरी गीतों का गायन किया गया। अध्यक्ष गणेश गहलोत के अनुसार उत्सव में तीन सौ से अधिक गवर, ईसर और भाया की प्रतिमाएं पहुंची। जिनका पूजन व खोळा भरा गया। सह संयोजक रमेश सोलंकी, शंभू सोलंकी, पप्पू, शंभू गहलोत, गौरी शंकर सोलंकी सहित सदस्यों व मोहल्लेवासियों ने विभिन्न व्यवस्थाओं को सुचारु रूप दिया।

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गणगौर पूजन उत्सव में घर-घर पारंपरिक गणगौरी गीतों का गायन हो रहा है। गणगौर पूजन कर रही बालिकाएं सुबह गणगौर पूजन के बाद रात को गवर का बासा देने की रस्म निभा रही है। घर-परिवार व मोहल्ले की बालिकाएं-महिलाएं सामूहिक रुप से गढ़न हे कोटो सूं उतरी गवरल, ओ तो गैरो गैरो गवरा बाई रो, थोरा वचन ए सुहावणा, म्हारी चांद गवरजा, खेलण दो गणगौर, झडा फडी रंग मांडणो रे लाल सहित कई गणगौरी गीतों का गायन कर रही है।

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