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…ग्वार अब दे रहा ‘गम’

locationबीकानेरPublished: Jan 19, 2020 12:36:29 pm

Submitted by:

Ramesh Bissa

करीब सात साल पहले जिस ग्वार की वजह से काश्तकारों के घरों में लग्जरी गाडिय़ां नजर आने लगी थी अब मायूसी छाई है।

 Grain market news

…ग्वार अब दे रहा ‘गम’

बीकानेर. करीब सात साल पहले जिस ग्वार की वजह से काश्तकारों के घरों में लग्जरी गाडिय़ां नजर आने लगी थी अब मायूसी छाई है। वहीं ग्वार का गम तैयार करने वाली फैक्ट्रियों पर अब ताले लगे हुए है। किसान को उपज का दाम नहीं मिलना और ग्वार गम की मांग कम होने से एेसे हालात बने है।
ग्वार से इस मोह भंग की वजह से ही इस साल ग्वार का स्टॉक भी गत वर्ष की तुलना में कम है। उपज भी कम ही हुई फिर भी किसान को दाम पिछले सालों से ज्यादा नहीं मिल रहे। साथ ही मंडी में अभी तक काला पड़ चुका ग्वार ही ज्यादा आ रहा था। इन दिनों कुछ साफ और चमकीला ग्वार आने से व्यापारी हाथ डालने लगे है। जो फसल आ रही है वह भी ज्यादा मुनाफा नहीं दे रही है। ऐसे में जो ग्वार गम फैक्ट्री चालू हालत में हैं वे भी कम गुणवत्ता वाला ग्वार नहीं लेना चाहते। इससे गम की क्वालिटी पर असर पड़ता है।
सात साल पहले से स्थिति एकदम उलट
वर्ष 2011-12 में ग्वार की फसल ठीक होने एवं दाम भी अच्छे मिलने से ग्वार गम मिलों की चांदी हो गई थी। तब गम की कीमत एक लाख रुपए क्विंटल तक पहुंच गई थी। ऐसे में धरती पुत्रों के घरों में लग्जरी गाडिय़ां नजर आने लगी थी और खेत-ढाणियों में भी पक्के मकान नजर आने लगे थे। सात साल पहले ग्वार ने तीस हजार रुपए प्रति क्विंटल तक
छलांग लगाई थी, जो अब तक के
उच्च्तम भाव है। अब स्थिति बदल गई है। विदेश में गम का विकल्प ढूंढने की वजह से मांग भी कमजोर हो गई है। एेसे में ग्वार गम की स्थानीय फैक्ट्रियां बंद होती जा रही है। देश में तीन सौ गम मिले हुआ करती थी, जिनकी संख्या अब पचास तक सिमट गई है। सीधे तौर पर ढाई सौ मिले बंद हो गई है। राजस्थान में ग्वार गम की 250 फैक्ट्रियों में से वर्तमान में महज 35 ही चल रही है। बीकानेर में 14 में से 12 मिल बंद हैं।
विकल्प का असर
विदेश में क्रुड ऑयल कुओं में ग्वार गम का उपयोग अधिक होता है। इस वजह से इसके भाव भी तेज हो गए थे। अब विदेश में गम का विकल्प निकलने की वजह से मांग कमजोर हो गई है। इन कुओं के लिए अब विकल्प के तौर पर शील्क वाटर नामक उत्पाद का उपयोग किया जाने लगा है। जो ग्वार गम से सस्ता मिल जाता है।
निर्यात कमजोर हुआ
अधिकांश ग्वार गम का विदेश में निर्यात ही किया जाता है। मांग कम होने से पिछले सालों के मुकाबले अब पचास प्रतिशत से भी कम निर्यात हो रहा है। पहले करीब साढ़े छह टन गम का निर्यात होता था। अब सालाना तीन लाख टन गम का निर्यात हो रहा है। इस समय गम के भाव भी 7500 से 7600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
१ करोड़ बोरी का स्टॉक
देश के विभिन्न राज्यों में इस समय ग्वार की एक करोड़ बोरी का स्टॉक पड़ा है। जबकि फसल का उत्पादन 70 लाख बोरी हुआ था। वर्ष 2018 में दो करोड़ बोरी ग्वार का स्टॉक वेयर हाउस और गोदामों में पड़ा था और एक करोड़़ बोरी का उत्पादन हुआ था। एक करोड़ 25 लाख बोरी का निर्यात होता था, जो इस बार अब तक 30 हजार टन हुआ है।
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