बीकानेर

बीकानेर में मिले टैग लगे ग्रेटर फ्लेमिंगो

बीकानेर. बीकानेर में इन दिन प्रवासी पक्षियों की तादाद बढ़ गई। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो भी हैं। इनमें कुछ ग्रेटर फ्लेमिंगो के टैग लगे हुए। ये टैग मुंबई में लगाए हैं, ताकि इनके उड़ान का रूट और प्रवास व भोजन संबंधी जानकारी मिल सके। बीकानेर आए ग्रेटर फ्लेमिंगो के पैर में पीले रंग का टैग लगा हुआ है।

बीकानेरDec 09, 2018 / 11:52 am

जय कुमार भाटी

Greater Flamingo with a tag found in Bikaner


बीकानेर. बीकानेर में इन दिन प्रवासी पक्षियों की तादाद बढ़ गई। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी ग्रेटर फ्लेमिंगो भी हैं। इनमें कुछ ग्रेटर फ्लेमिंगो के टैग लगे हुए। ये टैग मुंबई में लगाए हैं, ताकि इनके उड़ान का रूट और प्रवास व भोजन संबंधी जानकारी मिल सके। बीकानेर आए ग्रेटर फ्लेमिंगो के पैर में पीले रंग का टैग लगा हुआ है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. दाउलाल बोहरा ने बताया कि ये टैग मुंबई के वैज्ञानिकों ने लगाए है। इससे ग्रेटर फ्लेमिंगो के प्रवास के दौरान रूट, ठहरने वाले स्थान और देश की जानकारी मिल सकेगी। प्रवासी पक्षी के जलीय पदार्थ खाने का पता लग सकेगा।
 

पहली बार टैग
ग्रेटर फ्लेमिंगो बीकानेर में लूणकरनसर व गजनेर के आस-पास के पानी के तालाबों में कई सालों से आ रहे हैं, लेकिन टैग लगे वाले पक्षी पहली बार दिखाई दिए हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि यह पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है। इन दिनों इनकी संख्या ४० से ५० तक पहुंच गई है। ये फ्लेमिंगो इजराइल, कुवैत, यूएई, यूरोप आदि जगह से आते हैं।
 

परिवार के साथ रहते हैं
ग्रेटर फ्लेमिंगो ज्यादातर अपने परिवार के साथ रहते हैं। यह तीन से चार फुट तक लम्बा होता है। आमतौर पर एक बार में एक ही अंडा देते हैं। ग्रेटर फ्लेमिंगो का मुंह लाल व गुलाबी रंग होता है। फ्लेमिंगो के पैर सबसे लम्बे होते हैं।
 

जलीय पदार्थ खाने से हो जाती है मौत
बीकानेर के आसपास के क्षेत्रों में टैग लगे हुए ग्रेटर फ्लेमिंगो पाए गए है। कई बार जलीय पदार्थों के खाने से इनकी मौत हो जाती है। इसकी जांच करने व प्रवास का रूट देखने के लिए मुंबई के वैज्ञानिकों ने यह टैग लगाया है।
डॉ. दाउलाल बोहरा, पक्षी विशेषज्ञ
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