विषय अनिवार्य, पुस्तकें निशुल्क नहीं कक्षा छह से दसवीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्वास्थ्य एवं कला शिक्षा विषय अनिवार्य विषय के रूप में लागू है। इन विद्यार्थियों को अध्यययन भी पुस्तकें बाजार से खरीदकर करना पड़ता है। क्योंकि स्वास्थ्य व कला शिक्षा विषय की पुस्तकें शिक्षा विभाग की निशुल्क पुस्तकों की सुची में ही शामिल नहीं है। इन अनिवार्य विषयों के माध्यम से बच्चों को स्वास्थ्य, सृजनात्मक, बौद्धिक विकास के उददेश्य को लेकर सरकारी स्कूलों में अध्ययन करवाने की व्यवस्था तो कर दी गई है लेकिन हालात यह है कि इन विषयों की पूर्णतया उपेक्षा की जा रही है। कक्षा दसवीं में तो केवल अद्र्धवार्षिक परीक्षा ही होती है। बोर्ड परीक्षा के दौरान अंक तालिका में बच्चों को सीधे ग्रेडिंग ही दी जाती है।
13 लाख विद्यार्थियों ने चुना एच्छिक विषय
सीनियर सैकंडरी में पढऩे वाले विद्यार्थी आज भी संगीत कला व चित्रकला में एच्छिक विषय के रूप में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। राजस्थान बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन के अनुसार वर्ष2011से 2019 तक करीब13 लाख61 हजार 952 विद्यार्थियों ने सीनियर सैकंडरी में इस विषय को चुना है। इसमें 12 हजार 876 विद्यार्थियों ने संगीत कला को एच्छिक विषय रखा है। वहीं पाठ्य पुस्तक मंडल इन विषयों की पुस्तकें भी प्रकाशित कर रहा है।
27 साल से नहीं हुई शिक्षकों की भर्ती कला शिक्षकों की भर्ती होनी चाहिए। बीते 27 साल से कला शिक्षकों की भर्ती नहीं खुली है। बीकानेर सहित प्रदेशभर के जिलों से मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं। कला शिक्षा के हजारों अभ्यर्थी बेरोजगार है। -महेश गुर्जर, प्रदेश सचिव, रा. बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन
रिपोर्ट ले रहा हूं अभी अलग-अलग अनुभागों से फीडबैक ले रहा हूं। शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा व कला शिक्षा विषय को लेकर रिपोर्ट ली जाएगी। इसके बाद ही कुछ ही कहा जा सकता है। – हिमांशु गुप्ता, निदेशक, मा.शिक्षा