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मानसून ने दिया दगा: बर्बादी के कगार पर पहुंचे काश्तकार

locationबीकानेरPublished: Sep 21, 2018 08:51:22 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

वर्ष २०१२-१३ में तीस हजार रुपए प्रति क्विंटल के आंकड़े को छूने वाली ग्वार की फसल इस साल बर्बादी के कगार पर खड़ी है। निर्धारित बारिश नहीं होने से फसल मुर्झाने लगी है।

Guar Crop Bad

Guar Crop Bad

बीकानेर. वर्ष २०१२-१३ में तीस हजार रुपए प्रति क्विंटल के आंकड़े को छूने वाली ग्वार की फसल इस साल बर्बादी के कगार पर खड़ी है। निर्धारित बारिश नहीं होने से फसल मुर्झाने लगी है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो दस-पन्द्रह दिनों में अगर बारिश नहीं हु़ई तो इसका खमियाजा काश्तकारों को भुगतान पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष चिंचित क्षेत्र में भी ग्वार की फसल को पच्चीस बीघा की बजाया पांच बीघा में ही पानी मिल सका है। एेसे में अधिकतर फसल बर्बाद हुई है। काश्तकारों की उम्मीदों पर पहले तो मानसून ने पानी फेरा फिर, गर्म हवा ने फसलों झुलसा दिया। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब सात लाख हैक्टेयर क्षेत्र में ग्वार की बुआई हुई है, लेकिन बारिश नहीं होने से काश्तकारों को उनकी उम्मीद के मुताबिक फसल नहीं मिलेगी। सूखे के चलते काश्तकारों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

खराब फसल की कटाई भी शुरू
काश्तकार अजीत सिंह बेलासर ने बताया कि अब तक काश्तकार बारिश के इंतजार में थे, लेकिन अब उम्मीद टूट चुकी है। कुछ स्थानों पर काश्तकारों ने फसल खराबे को देखते हुए उसकी कटाई भी शुरू कर दी है। मौसम जानकारों की मानें तो अब बारिश होने की उम्मीद नहीं के बराबर है। राजियासर के काश्तकार श्रीपाल शर्मा ने बताया कि अकाल की चपेट में आई ग्वार की फसल की एवज में सरकार को जल्द ही मुआवजा देने की घोषणा करनी चाहिए।
बारानी क्षेत्र में कम उत्पादन

बारानी क्षेत्र में ग्वार की फसल सूखे की चपेट में आने से इस वर्ष उत्पादन बहुत कम रहने की आशंका जताई जा रही है। कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. उदयभान ने बताया कि ग्वार की स्थिति चिंताजनक है। पिछले माह तक अगर अच्छी बारिश होती तो इसे जीवनदान मिल सकता था।
फसल की स्थिति चिंताजनक
मौसम की मार के कारण ग्वार की फसल चिंताजनक स्थिति में है। पश्चिमी राजस्थान के किसानों को ग्वार से उम्मीद थी, लेकिन उनकी उम्मीदों पर कमजोर मानसून ने पानी फेर दिया। पिछली वर्ष पचास लाख बोरी का उत्पादन पूरे देश में हुआ था, जो इस वर्ष घटकर ४० लाख बोरी के आस-पास ही रह जाएगा।
पुखराज चोपड़ा, पूर्व अध्यक्ष बीकानेर अनाज कमेटी, बीकानेर
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