पांच दशक से अधिक पुरानी कालबेलिया बस्ती में पहली बार दो युवक बिशननाथ एवं हड़मान नाथ ने दसवीं की परीक्षा उतीर्ण की है। दोनों द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं। यह बस्ती के लोगों के लिए मायने नहीं रखता कि दोनों बालकों के अंक कितने आए हैं। उन्हें तो इस बात की ज्यादा खुशी है कि दसवीं से आगे पढ़ने के लिए कोई काबिल तो बन पाया। बस्ती के लोगों ने इससे उत्साहित होकर सरकारी स्कूल के शिक्षकों को बुलाकर उत्सव भी मनाया।
शिक्षकों ने किया पढ़ाई के लिए प्रेरित
बच्छासर गांव के सरकारी स्कूल के शिक्षक बस्ती में पहुंचे, तो समुदाय के लोग एक छप्पर के नीचे एकत्र हो गए। दसवीं बोर्ड परीक्षा में पास हुए हड़मान नाथ और बिशन नाथ को सामने बैठाकर शिक्षकों ने सभी बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। शिक्षक शिवकुमार बडगूजर, प्रदीप सिंह रावत ,चंद्र प्रकाश ओझा, आसकरण मेघवाल ने बच्चों के लिए निशुल्क पाठ्य पुस्तक, मिड डे मील, साइकिल, छात्रवृत्ति ,स्वास्थ्य आदि योजनाओं के बारे में बताया।
गरीबी से उबर नहीं पा रहा समुदाय
कालबेलिया घुमंतू जाति है। यह परिवार पहले सांप पकड़कर प्रदर्शन कर अपना जीवन यापन करते थे। धीरे-धीरे सांप पकड़ना बंद कर दिया और सरकार ने भी सांप को पकड़कर रखने पर रोक लगा दी। अब घुमंतू जाति एक जगह रहने तो लगी है लेकिन शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं है। बस्ती की शांति देवी, शारदा देवी, मोडा देवी, सिन्धु देवी, कंचन देवी आदि निरक्षर हैं। इसके बावजूद शिक्षक जब बस्ती में पहुंचे तो वे अपने बच्चों के भविष्य के लिए उत्सुक दिखीं। बस्ती के राजू नाथ ने बताया कि कालबेलिया जाति के दो विधार्थी पहली बार दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर पाए हैं। अब लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं।