दवा केन्द्र कम, फार्मासिस्टों का टोटा
जब निशुल्क दवा योजना शुरू की गई थी, तो उस वक्त अस्पताल के अनेक आउटडोर के पास करीब 36 दवा वितरण केन्द्र तय किए गए थे। इसके अलावा होलसेल भंडार की दुकानों को भी दवा वितरण की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे केन्द्रों की संख्या घटती रही और इस समय लगभग 30 फीसदी दवा केंद्र बंद हो चुके हैं। मात्र 22 दवा केन्द्र ही संचालित हो रहे हैं। इसमें भी कई केन्द्र तो आउटडाेर बंद होने के समय ही बंद हो जाते हैं। इसके अलावा फार्मासिस्टों की संख्या की कम होती रही। कई फार्मासिस्टों ने अपने गृह जिलों में तबादला करवा लिया। इस वजह से केन्द्र बंद करने की नौबत आ गई। इन हालात को सुधारने के बजाय अस्पताल प्रशासन ने सरकार की मंशा के अनुरूप योजना लागू करने का दबाव बनाया, तो बजाय हालात सुधरने के और बिगड़ गए।
बाहर के चिकित्सक दे रहे सीटी स्कैन व एमआरआइ की सलाह
कई निजी चिकत्सक मरीजों से मोटी फीस वसूल रहे हैं, लेकिन जब सीटी स्कैन और एमआरआइ तथा महंगी जांचे कराने होती हैं, तो वह मरीज को पीबीएम अस्पताल में निशुल्क सीटी स्कैन तथा एमआरआइ कराने की सलाह देते हैं। इसके लिए वे चिकित्सक अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों को कह भी देते हैं कि फलां मरीज की जांच अस्पताल के फार्म पर लिख देना। नतीजा दबाव और बढ़ता जा रहा है।
दवा नहीं लाने की जिद पर अड़ा नर्सिंग स्टाफ
गत दिनों मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. मोहम्मद सलीम ने एक आदेश जारी कर मरीजों के लिए दवा लाने की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ को सौंपी थी। लेकिन इस आदेश के बाद से ही नर्सिंग कर्मचारी नाराज हैं। उन्होंने आंदोलन कर इस आदेश को वापस लेने की मांग की लेकिन अस्पताल प्रशासन नहीं मान रहा है और नर्सिंग कर्मचारी भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। इस वजह से यह आदेश अब तक लागू भी नही हुए हैं।