कार्यवाहक प्रधानाचार्य खेतरपाल कड़वासरा के अनुसार विद्यालय में प्रधानाचार्य समेत 19 पद स्वीकृत है लेकिन शाला में मात्र सात का स्टाफ ही कार्यरत है। विद्यालय में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व संस्कृत के वरिष्ठ शिक्षकों समेत 12 कार्मिकों के पद रिक्त है।
इसके बावजूद कार्यरत शिक्षकों ने टीम भावना से काम करते हुए सत्र 2018-19 में 12वीं व 10वीं दोनों बोर्ड परीक्षाओं में शत-प्रतिशत परिणाम दिया है। शिक्षकों ने सीमा पर सटे इस गांव में अपने स्तर पर प्रयास कर गत दो सालों में 150 से नामांकन बढ़ाकर करीब 250 छात्र-छात्राओं का दाखिला करवा दिया है।
संचार साधनों का भी अभाव भारत-पाक सीमा पर सटा होने के कारण आनंदगढ़ में किसी भी टेलिकॉम कम्पनी का नेटवर्क काम नहीं करता। इन दिनों में विद्यालयों के सभी काम ऑनलाइन करने पड़ते है। इससे शिक्षकों को करीब ५० किलोमीटर दूर खाजूवाला मुख्यालय आकर अध्यापकों को शाला के काम करने पड़ते है। शाला में खेल मैदान समेत अन्य कई संसाधनों की कमी है। ग्रामीणों ने बताया कि संसाधनों की पूर्ति के लिए शिक्षक कारीगर का भी काम करने से पीछे नहीं रहते है।
नवाचार को बढ़ावा
शाला में हमेशा टीम भावना के साथ कार्य योजना बनाकर काम कर शत-प्रतिशत परिणाम दिया है। अध्ययन में हमेशा नवाचार को बढ़ावा दिया है। इसी का परिणाम है, इतिहास जैसे मानविकी विषय में अधिकांश बच्चों के ७५ प्रतिशत से अधिक अंक आए है।
शाला में हमेशा टीम भावना के साथ कार्य योजना बनाकर काम कर शत-प्रतिशत परिणाम दिया है। अध्ययन में हमेशा नवाचार को बढ़ावा दिया है। इसी का परिणाम है, इतिहास जैसे मानविकी विषय में अधिकांश बच्चों के ७५ प्रतिशत से अधिक अंक आए है।
हरीराम, प्राध्यापक, इतिहास, राजकीय उमावि आनंदगढ़