बिन्नाणी बिल्डिंग में अवैध निर्माण को लेकर हुई शिकायतों के बाद निगम में निर्माण शाखा से आयुक्त के बीच बार-बार फाइल घूमती रही है। फाइल ने डीएलबी जयपुर की हवा भी खाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। निगम अधिकारियों के अनुसार बिन्नाणी बिल्डिंग में नवनिर्माण अथवा बेसमेंट निर्माण को लेकर फाइल निगम में प्रस्तुत नहीं हुई। निगम की बिना अनुमति के निर्माण कार्य हो रहा है।
सदन में भी उठी आवाज
बिन्नाणी बिल्डिंग में अवैध निर्माण की शिकायतंे निगम में करीब तीन साल से हो रही हैं। पिछले बोर्ड में पार्षदों ने इस बिल्डिंग में अवैध निर्माण की बात सदन में रखी और कई बार विरोध भी दर्ज करवाया, लेकिन निगम प्रशासन अवैध निर्माण को महज देखता रहा।
पूर्व महापौर नारायण चौपड़ा ने पिछले बोर्ड के पार्षदों के साथ इस बिल्डिंग का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यालय टिप्पणी में ११ जनवरी, २०१८ को लिखा कि निरीक्षण में धड़ल्ले से निर्माण कार्य चलता पाया गया। दुकानें व अण्डर ग्राउण्ड बन चुके हैं। विचित्र स्थिति है कि निगम के अधिकारी व कर्मचारी विपरीत टिप्पणी अंकित कर रहे हैं। महापौर ने इस टिप्पणी में दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस जारी करने और बिल्डिंग को सील करने की बात कही। पूर्व महापौर के आदेशों पर भी निगम अधिकारी चुप्पी साधे रहे व कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अवैध और नियम विरुद्ध निर्माण कार्यों के बावजूद निगम अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। महज दिखावे के लिए पत्रावली चलाकर फाइल को लगातार घुमाने की प्रक्रिया अपनाई गई, जबकि नियम व कानून की आड़ में निर्माण कार्य चल रहे हैं।
जब भी कार्रवाई शुरू हुई पक्ष रखने के लिए समय लेकर निर्माण कार्य आगे बढ़ाते रहे।
बिल्डिंग के कुछ दुकानदारों ने न्यायालय में भी वाद दायर कर रखा है।
5वीं मंजिल तक निर्माण
बिन्नाणी बिल्डिंग में बेरोकटोक निर्माण कार्य चल रहा है। निगम प्रशासन बेखबर है। पांचवीं मंजिल तक निर्माण हो चुका है। परिसर के खुले स्थान पर निर्माण कार्य चल रहा है। दर्जनों दुकानें बन चुकी हैं। निगम अधिकारी इस बिल्डिंग को लेकर पूर्व में जारी किए हुए अपने ही आदेशों की पालना नहीं करवा पा रहे है। बहुमंजिला इमारत होने के बावजूद पार्र्किंग, फायर एनओसी नियमों की पालना नहीं हो रही है।
बिन्नाणी बिल्डिंग के एक निर्माण पर कोर्ट का पुराना स्टे है। निगम उपविधि परामर्शी के अनुसार बिल्डिंग से जुड़े तीन स्टे कुछ दिन पहले हुए हैं। जिन पर निगम ने अपील कर दी है। वहीं तीन में यथा स्थित के आदेश हैं।
ये रहे जिम्मेदार अफसर
निकिया गोहाएन (पूर्व आयुक्त)
सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिल्डिंग में कुछ नए बेसमेंट बन रहे हैं और कुछ पुराने बेसमेंट की मरम्मत हो रही है। पूर्व आयुक्त ने सर्वेयर की रिपोर्ट के बाद फिर से स्पष्ट रिपोर्ट करने को कहा। सर्वेयर से बेसमेंट की परिभाषा मांग ली। सील के आदेश के बाद फिर से फाइल घूमनी शुरू हो गई।
डॉ. राष्ट्रदीप यादव (पूर्व उपायुक्त)
आयुक्त ने नवम्बर-२०१७ में बिल्डिंग सील करने के आदेश दिए। सर्वेयर ने सील की पत्रावली चलाने की अनुमति मांगी। डॉ. यादव ने सर्वेयर से पुन: छह बिन्दुओं की रिपोर्ट मांग ली। इससे मामला फिर लटक गया। दो माह का समय भी बिल्डिंग मालिकों को दिया गया।
डॉ. प्रदीप के गवांडे (आयुक्त)
बिन्नाणी बिल्डिंग में अवैध निर्माण को लेकर पार्षदों ने बार-बार शिकायतें की, घेराव किया। वर्तमान आयुक्त महज शिकायतों को मार्क कर फाइल करने में लगे रहे। जिला कलक्टर कार्यालय से भी शिकायत आयुक्त के पास पहुंची, लेकिन ठोस कार्रवाई के नाम पर एक साल में कुछ नहीं हुआ है।