जिले के दंतौर, कोलायत, खाजूवाला आदि क्षेत्रों में दिन-रात लाखों टन जिप्सम का अवैध खनन कर बाहर भेजा जा रहा है। अवैध कारोबार का अनुमान इस से लगाया जा सकता है कि यहां स्वीकृत खानों की संख्या महज 21 है जबकि अवैध रूप से खनन 125 प्वांइट पर हो रहा है।
यह हो रहा नुकसान
– जिप्सम खनन के पट्टे जारी नहीं होने से जगह-जगह अवैध खनन हो रहा है।- पीओपी फैक्ट्रियों को मांग के अनुरूप कच्चा जिप्सम नहीं मिलना।
– फैक्ट्री मालिकों को अवैध खनन माफिया से माल खरीदने की मजबूरी।
– खान विभाग को भी राजस्व और रॉयल्टी का नुकसान।
– अवैध खनन से कर पेटे करोड़ों रुपए का नुकसान।
– माफिया बड़े पैमाने में काला धन कमा रहा है जो अवैध कामों में लगता है।
– अपराध का ग्राफ बढऩा।
– जिप्सम खनन के पट्टे जारी नहीं होने से जगह-जगह अवैध खनन हो रहा है।- पीओपी फैक्ट्रियों को मांग के अनुरूप कच्चा जिप्सम नहीं मिलना।
– फैक्ट्री मालिकों को अवैध खनन माफिया से माल खरीदने की मजबूरी।
– खान विभाग को भी राजस्व और रॉयल्टी का नुकसान।
– अवैध खनन से कर पेटे करोड़ों रुपए का नुकसान।
– माफिया बड़े पैमाने में काला धन कमा रहा है जो अवैध कामों में लगता है।
– अपराध का ग्राफ बढऩा।
सूरत-ए-हाल
जिप्सम को खुले बाजार में बेचने की छूट मिलने के बाद खनन पट्टे लेने के लिए 613 से अधिक आवेदन किए गए। खान विभाग ने अब तक 77 और 146 को स्वीकृति की तैयारी है।
जिप्सम को खुले बाजार में बेचने की छूट मिलने के बाद खनन पट्टे लेने के लिए 613 से अधिक आवेदन किए गए। खान विभाग ने अब तक 77 और 146 को स्वीकृति की तैयारी है।
यह है हकीकत
जिप्सम माफियाओं ने अपने खेतों के अलावा सरकारी जमीन से जिप्सम निकाल लिया। नियमानुसार जिप्सम खानों से चार से साढ़े चार मीटर तक खनन किया जा सकता है। स्वीकृत खान मालिक भी मापदंड से अधिक जिप्सम निकाल रहे हैं। जिनके पास खान का पट्टा है वे दूसरे के खेतों से चोरी-छिपे निकाल रहे हैं। अवैध खुदाई में पूरा खेल मिलीभगत का है।
जिप्सम माफियाओं ने अपने खेतों के अलावा सरकारी जमीन से जिप्सम निकाल लिया। नियमानुसार जिप्सम खानों से चार से साढ़े चार मीटर तक खनन किया जा सकता है। स्वीकृत खान मालिक भी मापदंड से अधिक जिप्सम निकाल रहे हैं। जिनके पास खान का पट्टा है वे दूसरे के खेतों से चोरी-छिपे निकाल रहे हैं। अवैध खुदाई में पूरा खेल मिलीभगत का है।
अवैध खानें ज्यादा
– 125 अवैध खानें, 21 खानें हैं स्वीकृत
– 3 लाख टन अवैध खनन हर महीने
– 225 रुपए प्रति टन रॉयल्टी
– 400 करोड़ हर माह घाटा
– 125 अवैध खानें, 21 खानें हैं स्वीकृत
– 3 लाख टन अवैध खनन हर महीने
– 225 रुपए प्रति टन रॉयल्टी
– 400 करोड़ हर माह घाटा