शिक्षा विभाग की ओर से जुलाई में यह किताबें छापी गई थी। शिक्षकों का कहना है कि वे कई सालों से क्षेत्रफल ३ लाख ४२ हजार २३९ वर्ग किमी ही पढ़ाते आ रहे हैं, इस बार नई किताबों में अलग क्षेत्रफल आया है। पर्यावरण विषय के शिक्षक महेन्द्रसिंह ने बताया कि पर्यावरण की पुस्तक में १७वां पाठ ‘हमारा जिलाÓ में यह क्षेत्रफल दिया गया है। उनसे कई बार बच्चों ने भी इस बारे में पूछा और उन्हें भी किताब में लिखा क्षेत्रफल ही बताया गया।
विभाग ने नहीं किया संशोधन
पांचवी कक्षा की पुस्तक और अन्य माध्यमों से मिली जानकारी में राजस्थान के क्षेत्रफल में करीब ५० किलोमीटर का अंतर बताया जा रहा है। इस तरह सामान्य ज्ञान के लिए पुस्तक पढऩे वाले विद्यार्थियों के साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को भी क्षेत्रफल की गलत जानकारी दी जा रही है।
सत्र शुरू होने के करीब छह माह बाद भी शिक्षा विभाग ने पुस्तक में छपे क्षेत्रफल के बारे में खंडन अथवा संशोधन करने की जानकारी शिक्षकों व विद्यार्थियों को नहीं दी है। गौरतलब है कि राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले प्रतिभागी इन्ही पुस्तकों को पढ़कर सवालों का जवाब देते हैं। एेसे में सरकारी पुस्तकों पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है।