पांच दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों की शुरूआत भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। महोत्सव के दौरान लगाई गई स्वदेशी स्टॉल्स पर आमजन तवा, हांडी, कटोरी, गिलास, थाली, भगोना, दीपक, परात और प्लेट आदि की खरीददारी की। उन्नति फाउण्डेशन के कृष्ण कांत व्यास ने मिट्टी के बर्तनों की वैज्ञानिकता के बारे में जानकारी दी। वहीं कशीदाकारी किए हुए कपड़े, लकड़ी के खिलौने, नस्य घी, स्वदेशी गोनाइल, देशी मसाले आदि भी आमजन के आकर्षण के केन्द्र रहे।
कुश्ती में दिखाया दमखम
महोत्सव के दौरान गुरूवार को आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में तीन टीमों ने मुकाबले जीते। खेल प्रभारी केसरीचंद पुरोहित ने बताया कि दूसरे दिन के खेलों में वीर तेजा क्लब ने भैंरूनाथ क्लब को महादेव क्लब ने मातेश्वरी क्लब को पंतजलि युवा भारत ने जम्भेश्वर क्लब को मात दी। निर्णायक की भूमिका महेन्द्र व्यास ने निभाई। शुक्रवार को भी विभिन्न मुकाबले होंगे।
कविताओं के माध्यम से दिया स्वदेशी का संदेश
महोत्सव के दौरान गुरूवार को आयेाजित कवि सम्मेलन में विभिन्न कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कवि सम्मेलन प्रभारी विजय धमीजा ने बताया कि वरिष्ठ व्यंग्य कवि गौरी शंकर मघुकर ने विदेशी कंपनियों में खलबली, विदेशी सामान की होली जली गीत के माध्यम से दाद बटोरी। संजय आचार्य वरूण ने मंदिर में घंटी बजी, उधर गूंजी अजान के माध्यम से साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल प्रस्तुत की।
जुगल पुरोहित ने स्वदेशी मंगलम, स्वदेशी चीज मंगलम, हेडगेवार जी की सीख मंगलम् प्रस्तुत की। बाबूलाल छंगाणी ने छाछ राबड़ी ने चाय सलटाय गी, लुगाया भिड़वाय दिया भायां नैं, सूना कर दिया टीवी सबनै, भुल्या लोग हथायां नैं के माध्यम से जमकर तालियां बटोरीं। कवि लीलाधर सोनी पगड़ी म्हारी संसद भवन में गजब बणाई पहचान की प्रभावमयी प्रस्तुति दी। समारोह में मंच के विभाग संयोजक अनिल शुक्ला बतौर अतिथि मौजूद थे।