लोहिया ने अफसोस जताते हुए कहा है कि बीकानेर का कोई भी जनप्रतिनिधि या व्यापारिक संगठन गजनेर औद्योगिक क्षेत्र शुरू करने के लिए उनके पास नहीं आया। इसकी सरकारी भूमि की लीज पंजीकृत है। राजस्व लेखा में नामान्तरण आदि सभी वैधानिक कार्रवाई पूरी हो गई है। औद्योगिक क्षेत्र की अधिग्रहित भूमि पर सीमा स्तम्भ बने हैं।
गजनेर औद्योगिक क्षेत्र में ऊन आधारित इकाइयों के लिए ७५.४८५ हैक्टेयर भूमि निर्धारित है। इसमें से ४५.१३८ हैक्टेयर को विक्रय योग्य रखा गया है। इसी तरह खनिज आधारित इकाइयों का क्षेत्रफल ९१.८९२ हैक्टेयर है। इसमें ५३.४६५ हैक्टेयर विक्रय योग्य है। सामान्य इकाइयों के लिए १८५.३७४ हैक्टेयर में से ११८.१२ हैक्टेयर जमीन विक्रय योग्य है। नगद अनुतोष के बदले विकसित आवासीय भूमि ६४.६६७ हैक्टेयर है। इस औद्योगिक क्षेत्र में ५०० वर्गमीटर से ५ एकड़ क्षेत्रफल तक के कुल १०५१ औद्योगिक भूखण्ड नियोजित किए गए हैं। औद्योगिक क्षेत्र को गजनेर लिफ्ट नहर से जलापूर्ति प्रस्तावित की गई है और डीपीआर भी तैयार कर ली गई है।
बीकानेर से ऊन, जिप्सम, कृषि एवं खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए सूखा बंदगाह का प्रस्ताव सरकार ने निरस्त कर दिया है। इसकी जगह रेलवे फ्रेट कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसमें बीकानेर भी रेलवे कंटेनर परिवहन से जुड़ेगा। केन्द्र सरकार ने कांडला से कंटेनर ट्रेन के लिए नई रेल लाइन बिछाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। कई जगह नई लाइन डाल दी गई है। इस लाइन पर केवल कंटेनर ही चलेंगे। राजस्थान लघु उद्योग वित्त निगम के अध्यक्ष मेघराज लोहिया ने बताया कि रेलवे फ्रेट कॉरिडोर बनने से निर्यात की परिवहन लागत भी कम आएगी। इसके राजस्थान में मारवाड़ जंक्शन, नीमराना और किशनगढ़ सेन्टर बनेंगे। कंटनेर से निर्यात जल्दी होगा और भारतीय उत्पाद अन्तरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पद्र्धा में आ सकेगा। लोहिया ने बताया कि बीकानेर में सूखा बंदरगाह खोलने की वर्षों से मांग की जा रही थी।