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कोरोना काल में महंगाई बनी डायन

locationबीकानेरPublished: Sep 08, 2020 12:05:42 am

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Vimal

ग्राहकी कम, दरें बढ़ी, कटिंग-शेविंग भी हुई महंगी
 

कोरोना काल में महंगाई बनी डायन

कोरोना काल में महंगाई बनी डायन

बीकानेर. कोरोना का असर आमजन के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनकी जेब पर भी पड़ रहा है। कटिंग, शेविंग, मजदूरी सहित विभिन्न कार्यो की दरे बढ़ गई है। कोरोना के कारण बढ़ी मंहगाई का असर घर की रसोई से लेकर बाजारों तक दिख रहा है। फल-सब्जियां महंगे हो गए है। नमकीन-भुजिया सहित परचून के कई सामानों की दरें भी बढ़ गई है। इसका सीधा असर घर के बजट पर पड़ रहा है।


कोरोना का सीधा असर शेविंग,कटिंग और हेयर सैलून व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ा है। दैनिक मजदूरी के कारण लॉक डाउन ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को अधिक प्रभावित किया है। शेविंग कटिंग की दरे बढ गई है। बीकानेर क्षौर कार्य एसोसिएशन के अध्यक्ष जयनारायण मारु के अनुसार कटिंग की दर 40 से बढक़र 50 रुपए और शेविंग की दर भी बढ़ी है। करीब पांच साल पहले दरे बढ़ी थी। अब बढऩी थी। मारु के अनुसार कोरोना के कारण ग्राहकी काफी कम हो गई है। लोग दुकानों पर कटिंग, शेविंग करवाने से भी घबरा रहे है। एडवाइजरी की पालना में सैनेटाइजर, साबुन, मास्क, वन टाइम यूज एप्रीन आदि का खर्च भी बढ़ गया है। वे बताते है शेविंग कटिंग कार्य में वर्तमान में कमाई कम और खर्च अधिक हो गया है।

 

 

50 से 100 रुपए बढ़ी मजदूरी
मकान निर्माण कार्य मजदूरी से जुड़े हेल्पर की दैनिक मजदूरी में 50 रुपए और कारीगर की मजदूरी में 100 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है। इस कार्य से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना से पहले ग्रामीण क्षेत्रों से रोज बड़ी संख्या में मजदूर शहर में आकर मजदूरी का काम करते थे। कोरोना के कारण इस पर असर पड़ा है। राजस्थान से बाहर अन्य प्रदेशों के मजदूर भी अपने-अपने प्रदेशों में बड़ी संख्या में गए है। स्थानीय श्रमिक अधिक संख्या में इस कार्य से वर्तमान में जुड़े हुए है। मकान निर्माण सामग्री व्यवसाय से जुडे बाल किशन पंवार बताते है कि लोग घरों में कोरोना के कारण रंग पेंट का काम कम करवा रहे है, जबकि निर्माण कार्य जारी है। सीमेन्ट सहित कई निर्माण सामग्री सामान में बढ़ोतरी हुई है।

 

पहले फुर्सत नहीं थी, अब काम का इंतजार
कपड़ो की धुलाई और प्रेस कार्य से जुड़े लोग और परिवारों पर कोरोना का अधिक असर पड़ा है। लोग दुकानों पर प्रेस करवाने की बजाय अपने घरों में अधिक करने लग गए है। इस व्यवसाय से जुड़ी कमला देवी बताती है कि कोरोना से पहले कपड़ो की धुलाई और प्रेस कार्य अधिक होने के कारण फुर्सत तक नहीं थी। पिछले कई महीनों से काम लगभग ठप्प सा है। घर खर्च चलाना भी मुश्किल बना हुआ है। कोरोना से पहले जो कपड़ो की धुलाई और प्रेस का काम था अब उसका आधा भी नहीं रहा है।

 

मजदूरी का इंतजार
सरकारी विभागों में सामान सप्लाई व्यवसाय से जुड़े गौरव मूंधड़ा बताते है कि कोरोना के कारण स्थानीय मजदूरों की मजदूरी सस्ती हो गई है। हलवाई, प्लम्बर, इलैक्ट्रिशियन आदि व्यवसाय से जुड़े मजदूर कारीगर मजदूरी का इंतजार कर रहे है। हलवाई, प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन आदि व्यवसाय से जुड़े मजदूर कारीगर मजदूरी का इंतजार कर रहे है।
शादी विवाह आयोजन बंद होने से हलवाईयों के पास अधिक काम नहीं है। वहीं घरों में काम कम होने से प्लम्बर और इलैक्ट्रिशियन कार्य से जुड़े कारीगर व मेकेनिक भी मजदूरी का इंतजार कर रहे है। वहीं मशीनरी कार्यो से जुड़े दिनेश पुगलिया बताते है कि ऑटोमोबाइल्स रिपेयरिंग कार्य में करीब दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। फोर व्हीलर रिपेयरिंग का काम कम हो रहा है, जबकि दुपहिया वाहनों का रिपेयरिंग का काम अधिक हो रहा है।

 

बढ़े दाम, ग्राहकी पर पड़ा असर
फड़बाजार ठेला यूनियन के एम डी चौहान के अनुसार कोरोना और लॉक डाउन का अधिक असर स्ट्रीट वेण्डर और सब्जियां बेचकर अपने परिवारों का भरण पोषण करने वालों पर पड़ा है। सब्जियां पीछे से कम आ रही है। भाव अधिक चल रहे है। कोरोना के कारण पहले से आर्थिक समस्या से जूझ रहे लोग कम ही सब्जियां खरीद रहे है। इससे ठेला गाड़ा लगाकर आय करने वालों पर असर पड़ रहा है। चौहान बताते है कि आलू 20 रुपए किलो था अब 35 रुपए, भिंडी ३ 30 रुपए के स्थान पर अब 60 रुपए, टमाटर 20 रुपए थे जो अभी 50 रुपए किलो और घीया 15 रुपए किलो था जो अभी 40 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहे है।

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