scriptदीयाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा | It is used as a season fruit in Deepawali poojan | Patrika News

दीयाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा

locationबीकानेरPublished: Nov 13, 2020 07:15:20 pm

Submitted by:

dinesh kumar swami

दीपावली पूजन Deepawali poojan –
दीपावली पूजन में ऋतुफल के रूप में होता है इनका उपयोग
 
 
()
 

दीयाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा

दीयाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा

बीकानेर. दीपावली महापर्व पर धन की देवी लक्ष्मी का विधि-विधान और विविध सामग्रियों के साथ पूजन करने की परम्परा है। हर साल घर-घर, दुकानों और प्रतिष्ठानों में मां लक्ष्मी का पूजन कर आरती की जाती है। लक्ष्मी पूजन (laxmi poojan) में पारम्परिक रूप से पूजन सामग्रियों का उपयोग होता है, लेकिन मरुप्रदेश में काचर, बेर और मतीरा फलों का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। दीपावली पूजन (Deepawali poojan) के समय मिट्टी से बनी हटड़ी और कुलड में जो ज्वार फूली, चणा, मतीरा बीज, मखणदाना, बडक सामग्री रखी जाती है, उसमें बेर और काचर भी शामिल होते है।

 

वहीं मतीरे के पूजन की भी परम्परा है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार राजस्थान में बेर, काचर और मतीरे का उत्पादन इस ऋतु में बहुतायात होता है। दीपावली (Deepawali) पूजन के दौरान ऋतुफल (season fruit) के रूप में इनके पूजन की परम्परा है। पंडित किराडू के अनुसार शास्त्रों में हालांकि लक्ष्मी पूजन के दौरान बेर, काचर और मतीरे का उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर पूर्व में इन्हीं फलों की ही उपलब्धता होने के कारण ऋतुफल के रूप में इनके परम्परा रही है।

 

षोडशोपचार पूजन में विशेष महत्व
पंडित किराडू के अनुसार देवी-देवताओं के पूजन की पद्धतियों में षोडशोपचार पद्धति प्रमुख है। इसमें सोलह प्रकार की सामग्रियों के साथ पूजन का विधान शास्त्रों में मिलता है। षोडशोपचार पूजन में देवी-देवताओं के पूजन और नैवेद्य अर्पित करने के साथ ऋतुफल भी अर्पित करने का विशेष महत्व है। श्रद्धालु लोग विशेष भाव और मंत्रोचार के बीच देवी-देवताओं के ऋतुफल अर्पित करते है।

 

घर-घर में होता है उपयोग
दीपावली के दिन घर-घर में लक्ष्मी पूजन के दौरान काचर, बेर और मतीरे का उपयोग होता है। लक्ष्मी पूजन की सामग्री की खरीदारी के दौरान लोग अनिवार्य रूप से काचर, बेर और मतीरे की भी खरीदारी करते है। दीपावली से कुछ दिन पहले बाजारों में बड़ी मात्रा में ये बिक्री के लिए पहुंचने शुरू हो जाते है।

 

बारानी व भडाण के मतीरे विशेष
कृषि व्यवसाय से जुडे जेठाराम लाखूसर के अनुसार बारानी और भडाण के मतीरे की विशेष मांग रहती है। ये मीठे और लोगों की ओर से अधिक पसंद किए जाते है। लाखूसर के अनुसार मोठ और बाजरे के साथ जो मतीरे के बीज उगाए जाते है वे ग्वार के साथ उगने वाले मतीरों की वनस्पत अधिक मीठे होते है।

 

आजीविका का साधन
ग्रामीण क्षेत्रों में काचर, बेर और मतीरा दशको से ग्रामीणों की आजीविका के साधन रहे है। जेठाराम लाखूसर के अनुसार अन्य फसलों के साथ काचर और मतीरे के बीज बोए जाते है। हर साल बड़ी मात्रा में मतीरा और काचर तैयार होते है व शहरों में बिकने के लिए पहुंचते है। लाखूसर के अनुसार इस बार मतीरे की फसल ठीक है। काचर थोडा कमजोर है। बेर की पर्याप्त मात्रा में है। ग्रामीण क्षेत्रों में 5 रुपए से 15 रुपए प्रति नग के अनुसार मतीरे बिक रहे है। जबकि शहरों में दीपावली पर इनके भाव 20 से 35 रुपए तक है।

 

दोहो व कहावतों में स्थान
काचर, बेर, मतीरा, टिंडी, बाजरा आदि को लोक कहावतों व दोहों में प्रमुखता से स्थान मिला है। दीयाळी रा दीया दीठा, काचर बोर मतीरा मीठा इसी प्रकार तीसे दिन टिंडसी और साठे दिन सिटो यानि बाजरा। लोग दीपावली और इनकी भरपूर फसल होने अथवा कमजोर फसल होने पर इन दोहों और कहावतों को एक दूसरे को बताते है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो