इन फाइलों में हो रही विशेष जांच
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर के अधीनस्थ डीवाईएसपी और एसएचओ की ओर से जिन फाइलों में जांच की जाती है। वह फाइल एसपी के पास जाने से पहले एएसपी के पास सत्यापन के लिए आती है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक अगर किसी फाइल में विशेष जांच कराना चाहते हैं।
पहले होता था यह पहले फाइल में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर तय होता था कि अपराध प्रमाणित है अथवा अप्रमाणित। मुकदमे में अगर कोई हार्डकोर या एचएस नामजद है, तो उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं मंगवाया जाता था। फाइल का सत्यापन कर आगामी कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को भिजवा दिया जाता था।
अब हो रहा ऐसा अब नई व्यवस्था के तहत फाइल की पूरी स्क्रूटनी की जा रही है। सभी नामजद का क्रिमिनल रिकॉर्ड देखा जाता है। अगर फाइल में किसी नामजद के खिलाफ अपराध अप्रमाणित माना जाता है। वह हार्डकोर व एचएस की श्रेणी में है, तो परिवादी को ऑफिस बुलाया जाता है। उससे सभी साक्ष्यों के बारे में पड़ताल की जाती है। सभी गवाहों का परीक्षण किया जाता है। जिस गवाह के आधार पर आरोप अप्रमाणित हुआ, वह कहीं आरोपी का हितबद्ध गवाह तो नहीं है। जांच अधिकारी से कहीं कोई साक्ष्य छूट तो नहीं गया है, यह परखा जाता है।
इनका कहना है…
नई व्यवस्था से मुकदमों में नाम हटाने व जोड़ने को लेकर पुलिस पर लगने वाले आरोपों से निजात मिल रही है। अब तक 39 फाइलों की जांच की गई, जिसमें से तीन फाइलों में नामजद हार्डकोर के खिलाफ कमजोर तथ्य व सबूत पाए गए, जिस पर उन फाइलों की दुबारा से हर बिन्दु पर जांच की गई और तीन हार्डकोर के खिलाफ आरोपी प्रमाणित माना। फाइल में रही कमियों के बिन्दु बनाकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया।
नई व्यवस्था से मुकदमों में नाम हटाने व जोड़ने को लेकर पुलिस पर लगने वाले आरोपों से निजात मिल रही है। अब तक 39 फाइलों की जांच की गई, जिसमें से तीन फाइलों में नामजद हार्डकोर के खिलाफ कमजोर तथ्य व सबूत पाए गए, जिस पर उन फाइलों की दुबारा से हर बिन्दु पर जांच की गई और तीन हार्डकोर के खिलाफ आरोपी प्रमाणित माना। फाइल में रही कमियों के बिन्दु बनाकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया।
अमित कुमार बुड़ानिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर