एक बेटा-बेटी बच गए अन्यथा… गजनेर एसएचओ अमरसिंह ने बताया कि ग्रामीणों और परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक जेठाराम मानसिक रूप से ठीक नहीं था। वह कोई काम नहीं करता था। अक्सर घर पर झगड़ा करता रहता था। बुधवार रात को घर के सभी लोग खाना खाकर सो गए। वह और उसकी पत्नी घर के आंगन में और उसके दो बेटे और दो बेटियां बाहर दादा-दादी के पास बाखळ में सो रहे थे। रात करीब दो बजे उसने पहले अपनी पत्नी का गला घोंट कर मार दिया। इसके बाद पिता के पास सो रही चार वर्षीय बेटी आयशा को लेकर आया उसे मार दिया। इसके बाद नौ वर्षीय बेटे जितेन्द्र को लाया और उसका भी गला घोंटकर मार दिया। इसके बाद १० वर्षीय बेटे रवि को दादा-दादी के पास से उठाकर अंदर लाने लगा। नींद में होने से बच्चा रोने लगा। तब वह उसे वहीं छोड़ आया। वह बच्चे के उठने से घबरा गया। इस कारण रवि व 12 वर्षीय बड़ी बेटी किरण बच गई।
उस पर भूत सवार हो गया था पिता उदाराम ने रुंधे गले से ग्रामीणों को बताया कि जेठू दीमाग से कमजोर था लेकिन यह पता नहीं था कि वह एक दिन अपने ही हाथों अपना घर-संसार खत्म कर देगा। रात को जो उसने किया वह बेहद डरावना है। जिन हाथों से उसने अपने बच्चों को खेलया, उन्हें ही गला घोंट कर मार दिया, जैसे उस पर भूत सवार था।
सबसे बड़ा बेटा था जेठाराम उदाराम के तीन बेटे हैं, जिसमें से जेठाराम सबसे बड़ा था। वह पहले घर में दुकान व आटा चक्की चलाता था लेकिन मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने से धीरे-धीरे उसने काम करना छोड़ दिया। पिछले दो-तीन साल से उसका बीकानेर में मानसिक रोग का इलाज चल रहा था।
कूलर के तार तोड़ लगा ली फांसी परिजनों के मुताबिक जेठाराम का छोटा बेटा रवि उठकर रोने लगा तो वह घबरा गया। उसने जल्दबाजी में कूलर के तार को तोड़कर ले आया। घर के बाहर वाले कमरे में बनी दुकान में पंखे के हुक से तार बांध कर लटक गया। कूलर बंद होने से गर्मी का अहसास होने पर उसके माता-पिता उठे। उन्होंने अंदर आकर देखा तो चारपाई पर शारदा, जितेन्द्र व आयशा निढाल पड़े थे। दुकान में देखा तो जेठाराम पंखे के हुक से लटक रहा था।
एक साथ उठे चार शव तो रो पड़ा पूरा गांव पुलिस ने दोपहर बाद सभी शवों का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। घर में एक साथ चार मौत होने पर गांव के मौजीज लोगों ने अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी कर रखी थी। शवों के आते ही चंद मिनटों में प्रक्रिया पूरी कर शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए रवाना हो गए। एक आंगन से चार शव एक साथ उठे तो परिजनों का रो-रोक कर बुरा हाल था वहीं ग्रामीणों की आंखों में भी आसू छलक पड़े।