टैग लगे कुरजां को ३ सितंबर को अंतिम बार रूस में देखा गया। इसके बाद २८ अक्टूबर को इसे बीकानेर में देखा गया। इसे अंतिम बार ११ नवंबर को बीकानेर के पलाना-देशनोक के पास ट्रेप किया गया। इसकी सैटेलाइट से सूचना नहीं मिलने पर बीकानेर के पक्षी विशेषज्ञ को जानकारी दी गई। इसके बाद आइयूसीएन सदस्य व पक्षी विशेषज्ञ ने इसकी तलाश तेज कर दी है।
ली जाएगी जानकारी
डॉ. बोहरा ने बताया कि जिस स्थान पर यह कुरजां को अंतिम बार देखा गया, उस स्थान पर जाकर जानकारी ली जाएगी। इससे पहले लूणकरनसर में एक अन्य कुरजां टैग लगी हुई मिली थी। इससे साबित होता है कि बीकानेर में कुरजां के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रखने लगा है। विदेशों में कुरजां की संख्या को लेकर बड़े अनुसंधान चल रहे है। इन अनुसंधानों के माध्यम से डेमोसाइल क्रेन यानी कुरजां की तय दूरी के माध्यम से दक्षिणी रूस में संख्या तथा एशिया में होने वाले पक्षियों के प्रवास के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा रही है। यह कुरजां रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान के शहरों से होते हुए बीकानेर पहुंची है।