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विभाग की अनदेखी मरीजों पर भारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सुविधाओं का अभाव

locationबीकानेरPublished: Mar 13, 2018 03:19:00 pm

Submitted by:

dinesh kumar swami

सामुदायिक चिकित्सालय में तब्दील होने के करीब एक साल बीतने के बाद भी आज भी सभी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।

community health center

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

छतरगढ़. कस्बे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक चिकित्सालय में तब्दील होने के करीब एक साल बीतने के बाद भी आज भी सभी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि इस सरकारी अस्पताल को राज्य सरकार ने गत बजट में सामुदायिक चिकित्सालय का दर्जा तो दे दिया है लेकिन आज भी यह चिकित्सालय सुविधाओं से महरूम है।
वर्तमान यह चिकित्सालय दो चिकित्सक, एक कंम्पाउडर व दो एएनएम के सहारे चल रहा है। जबकि चिकित्सालय पर दो एमबीएस, दो सर्जन, तीन एएमको सहित बाइस चिकित्सकों के स्टाफ की नियुक्ति सरकार द्वारा जारी की हुई है। इस चिकित्सालय में स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को रोजाना बीकानेर या श्रीगंगानगर जिले की घड़साना या रावला मण्डी जाना पड़ता है।
जबकि छतरगढ़ कस्बा राज्य राजमार्ग तीन पर स्थित होने के कारण सड़क व अन्य दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को स्टाफ व जांच मशीनों की कमी के चलते बीकानेर के लिए रेफर करना पड़ रहा है। कई बार घायल बीकानेर जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
समाजसेवी कृष्णा मेघवाल ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी इस कदर हावी है कि करीब एक दशक पूर्व विधायक कोटे से उपलब्ध करवाई गई एक्सरे मशीन पर भी एकमात्र कर्मचारी की नियुक्ति नही कर पाया है। छतरगढ़ विकास समिति अध्यक्ष श्रवण भाम्भू ने बताया कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी व अधिकारियों की लापरवाही से रोजाना चार-पांच सौ मरीजों की ओपीडी वाले इस अस्पताल का कोई धणी धोरी नही है। इससे लोगों में रोष व्याप्त है।
इनका कहना है
सामुदायिक चिकित्सालय के लिए पर्याप्त जमीन के अभाव में इसका काम रुका है। जैसे ही जमीन मिल जाती है इसका कार्य शुरू करवा कर क्षेत्र के लोगों की चिकित्सा संबंधी समस्या का निस्तारण कर दिया जाएगा।
डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, संसदीय सचिव, राजस्थान सरकार
चिकित्सकों में रिक्त पदों से रोगी परेशान
खाजूवाला. यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को मरीजों की भीड़ देखने को मिली। यहां स्वास्थ्य केन्द्र मंे 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है। इसमें से मात्र पांच चिकित्सक ही कार्यरत है। इन दिनों मौसमी बीमारियों को लेकर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में चिकित्सकों की कमी अब रोगियों को खल रही है। यहां मरीजों को लंबी लाइन में लगकर चिकित्सकों से परामर्श लेना पड़ रहा है।
इन दिनों पल्स पोलियो अभियान के तहत कुछ चिकित्सकों की ड्यूटियां अभियान में लगी है। इसके चलते सीएचसी में पहुंचे रोगियों को घंटों का इंतजार कर इलाज करवाना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों का कहना है कि नहरी पानी से पेट संबंधी रोग व मौसमी बीमारियां हो रही है। यहां रोजाना की आेपीडी 600 से 700 रहती है। मंडी वासियों ने चिकित्सा विभाग से चिकित्सकांे के रिक्त पद भरने की मांग की है।

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