इसके बाद इन प्रमुख मुद्दों के जमीनी हालात में कोई बदलाव आया या नहीं, इसकी पड़ताल ‘राजस्थान पत्रिका ने शुरू की है। अब तक सफाई व्यवस्था, देर रात तक शराब बिक्री, हैरिटेज वॉक और सरकारी कार्यालयों ढर्रे की पड़ताल करने के बाद शहर की रोडलाइटों के हालात पर एक रिपोर्ट-
रात को बीकानेर शहर में मुख्य मार्गों से लेकर मोहल्लों की गलियों तक में अंधेरा रहता है। हर महीने रोडलाइटों की देखभाल, मरम्मत और लाइटें बदलने पर लाखों रुपए का खर्च किए जा रहे हैं। नगर निगम की ओर से ठेकेदारों से यह कार्य कराने पर मोटी राशि खर्च करने के बावजूद अधिकतर रोडलाइटें बंद पड़ी हैं। शहर की व्यास कॉलोनी, सादुल कॉलोनी, समता नगर, मुक्ताप्रसाद, मुरलीधर व्यास कॉलोनी जैसी पॉश कॉलोनियों में भी रोड लाइटें खराब पड़ी है अथवा बंद पड़ी है।
लग रहा प्रश्नचिह्न जिला कलक्टर गौतम ने बंद पड़ी रोडलाइटों को तुरंत सही करने के निर्देश दिए थे। बीकानेर पश्चिम के विधायक डॉ. बीडी कल्ला सरकार में ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे है। इसके बाद भी शहर में रात को अंधेरा रहना शासन और प्रशासन दोनों पर सवाल खड़े करता है।
अंधेरे का फायदा अपराधिक प्रवृत्ति के लोग उठा रहे हैं। रात को राहगीरों से लूटपाट और मारपीट कर छीना-झपटी की घटनाएं हो रही हैं। साथ ही दुकानों और घरों में चोरी-सेंधमारी की वारदात हो रही है। जिला कलक्टर के आदेशों के बाद भी शहर में रात को सड़कों पर रोशनी के व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि पब्लिक पार्क में जरूर रोशनी रहने लगी है।