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लोकसभा चुनाव टिकट के लिए राजनीतिक धड़ेबंदी ने पकड़ा जोर, जानें भाजपा और कांग्रेस खास प्लान

locationबीकानेरPublished: Jan 16, 2019 04:28:30 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक धड़ेबंदी ने जोर पकड़ लिया है।

bjp and congress
बीकानेर। लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक धड़ेबंदी ने जोर पकड़ लिया है। भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रभारी व सहप्रभारी की नियुक्ति के साथ टिकट के लिए दौड़ तेज हो गई है। वहीं कांग्रेस में भी जिला प्रभारी मंत्री के माध्यम से टिकट के लिए पैनल की कवायद के साथ लॉबिंग भी शुरू हो गई है।
विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के तीन—तीन विधायक बने हैं। वोट शेयर में कांग्रेस आगे है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र की 16 ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं। उन्हें जोड़ने पर विधानसभा चुनाव में भाजपा—कांग्रेस को मिले वोटों में ज्यादा फासला नहीं रहता। दोनों ही पार्टियों में मौटे तौर पर दो—दो धड़े बने हुए हैं। इनसे पार पाने में भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को जोर आ रहा है।
कांग्रेस में सातों प्रत्याशियों की रहेगी भूमिका
कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के दौरान जिले की सात सीटों के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। इनमें जीतने वाले विधायक डॉ. बीडी कल्ला, भंवरसिंह भाटी और गोविन्दराम मेघवाल के साथ ही हारने वाले मंगलाराम गोदारा, रामेश्वर डूडी, वीरेन्द्र बेनीवाल और कन्हैयालाल झंवर की चुनावी टीमों आगामी चुनाव में काम करेंगी।
यही वजह है कि प्रत्याशी चयन में पार्टी को इनके विरोध और समर्थन को नजरंदाज करना भारी पड़ सकता है। अभी पैनल में एक दर्जन से अधिक नाम कांग्रेस के टिकट के लिए सामने आए हैं। कांग्रेस में घमासान सीधे तौर पर दो धड़ों के बीच चल रहा है। अभी विरोध का पारा चढ़ा होने का कारण विधानसभा चुनाव को ज्यादा समय नहीं होना भी है।
भाजपा में सक्रिय हुए दावेदार
भाजपा में मौजूदा सांसद और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल आगामी चुनाव के लिए सक्रिय हो चुके है। लगातार दो बार से सांसद होने से कुछ कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में नाराजगी को उन्हें टिकट देने का विरोध करने वाले उछाल रहे हैं। वहीं विधायक का चुनाव हार चुके नेता की पत्नी सहित चार—पांच बड़े दावेदार टिकट के लिए सक्रिय हो चुके हैं। जिले में भाजपा विधायक बिहारी विश्नोई, सुमित गोदारा और सिद्धी कुमारी में से कोई भी सीधे तौर पर चुनावी गुटबाजी में शामिल नहीं है। हारने वाली चार सीटों पर प्रत्याशियों में से कुछ के अर्जुनराम विरोधी सुर जरूर सुनाई देने लगे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी आएसएस से जुड़े एक अधिकारी सहित दो नाम टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
यह भी डालेगा असर
अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से 21,124 वोट अधिक मिले हैं। इस क्षेत्र की करीब डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायत लोकसभा क्षेत्र बीकानेर में आती हैं, जिसके वोटर भी चुनाव परिणाम को बड़ी भूमिका निभाते हैं।
नोटा को बीकानेर जिले में 17,979 वोट मिले, जो लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की तरफ भी जा सकते हैं।

श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक किसनाराम नाई, लूणकरनसर के प्रभुदयाल सारस्वत, बीकानेर पूर्व पश्चिम के गोपाल गहलोत जैसे बागियों के वोट भी भाजपा—कांग्रेस में सीधा मुकाबला होने पर मूल पार्टियों की तरफ डलेंगे।
श्रीडूंगरगढ़ में माकपा को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। लोकसभा चुनाव में भी ऐसी स्थिति रहने जैसी संभावना नहीं दिखती। मतदान का प्रतिशत भी कम—ज्यादा होगा।

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