सुबह करीब दस बजे पुरानी हवेली के ढहने की सूचना मिलते ही नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी और संबंधित थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। बताया जा रहा है कि इस हवेली में मूलचंद प्रजापत का परिवार रहता था, हवेली की जर्जर स्थिति को देख परिवार ने कुछ दिन पहले ही इसे खाली किया था। निगम की ओर से पिछले माह हवेली की जर्जर स्थिति को देख नोटिस जारी किया गया था।
तार टूटें, चिंगारिया निकली व पोल हुआ टेढ़ा
हवेली का मलबा गिरने से विद्युत तार टूट गए। इससे बिजली की तेज चिंगारिया निकली और तेज आवाज हुई। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार मलबे से बिजली के तार टूट कर गिर गए और विद्युत पोल टेढ़ा हो गया। मलबा आस पास के मकान के आगे तक पहुंच गया। हवेली ढहने के बाद कुछ हिस्सा बच गया, जो खतरनाक बन गया। निगम की ओर से इस बचे हुए और खतरनाक बन चुके हिस्से को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
जर्जर मकानों से हादसे की आशंका
शहर में विभिन्न क्षेत्रों में दशकों पुराने जर्जर और पुराने मकान, हवेलियां और इमारतें हैं, जो कभी भी ढह सकते है। निगम प्रशासन एेसे जर्जर मकानों का सर्वे कर सूची बना चुका है। जर्जर स्थिति को देख निगम की ओर से नोटिस भी जारी किए गए है। जो मकान बंद है, उनके बाहर नोटिस चस्पा किए गए। निगम प्रशाासन भी एेसे मकानों का सर्वे कर नोटिस जारी करने की कार्रवाई कर इतिश्री कर चुका है।
नहीं ध्यान दे रहा निगम प्रशासन
शहर में करीब चार दर्जन जर्जर मकानों, हवेलियों को निगम चिह्नित कर चुका है। जून के आखिरी सप्ताह में निगम उपायुक्त पंकज शर्मा ने पुराने शहर में कई जर्जर मकानों और हवेलियों का निरीक्षण किया था। इसके बाद संबंधित मकान मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए थे। करीब एक माह बाद भी एेसे मकानों के जर्जर हिस्सों को हटाने की कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। जर्जर मकान गिरने से शुरू हो गए है। पत्रिका ने शहर की जर्जर इमारतों और मकानों को प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था। उसके बाद भी प्रशासन ने इस ओर कोई गौर नहीं किया था।