एेसे में इस बैठक में रखे गए प्रस्तावों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। निगम प्रशासन 7 फरवरी को हुई साधारण सभा को लेकर स्वायत्त शासन विभाग से मार्गदर्शन मांग चुका है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। साधारण सभा में प्रस्तावों को सदन के पटल पर रखे बिना ही पारित करने के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्षद जयपुर तक अपना पक्ष रख चुके है।
90 दिन में कमेटियों का गठन जरुरी
नगर पालिका अधिनियम के तहत 90 दिवस के भीतर नगर पालिका की ओर से समितियां गठित की जानी आवश्यक है। जिसमें विफल रहने पर राज्य सरकार अपने स्तर पर समितियां गठित कर सकती है। 27 नवम्बर को महापौर के निर्वाचन के बाद अब 90 दिवस का समय पूरा हो चुका है। समितियों के गठन को लेकर महापौर और विपक्ष अपने-अपने तर्को के साथ अपना पक्ष रख रहे है।
ये थे बैठक प्रस्ताव
नगर निगम की सात फरवरी को हुई बैठक के लिए पांच विचारणीय बिन्दु रखे गए थे। जिनमें शहर की सफाई, लाइट, बेसहारा पशुओं की समस्या सहित, निगम कर्मचारियों की पदोन्नति के प्रस्ताव, निगम कार्मिकों व पार्षदों के लिए निगम की आवासीय योजना में आरक्षित दर पर भूखण्ड आवंटन सहित निगम कमेटियों के गठन के प्रस्ताव शामिल थे।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
कांग्रेस पार्षद जावेद पडि़हार ने बताया कि बैठक में प्रस्ताव सदन के पटल पर रखे ही नहीं गए। पटल पर रखे बिना पारित होने की घोषणा करना नियमों के विरुद्ध है। राज्य सरकार व स्वायत्त शासन विभाग से नियम विरुद्ध पारित कमेटियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग कर चुके है।
मार्गदर्शन मांगा है
सात फरवरी को हुई साधारण सभा की बैठक का कार्यवाही विवरण जारी नहीं हुआ है। बैठक को लेकर मार्गदर्शन मांगा हुआ है।
डॉ. खुशाल सिंह यादव, आयुक्त नगर निगम बीकानेर
नियमानुसार बैठक
सात फरवरी को हुई बैठक में नियमानुसार प्रस्ताव रखे गए व पारित हुए। आयुक्त बैठक का कार्यवाही विवरण जारी करे। नहीं करते है तो बैठक के तीन दिन में नोट ऑफ डिसेन्ट लगाकर सात दिन में सरकार को भेजने की व्यवस्था है। आयुक्त ने न तो बैठक कार्यवाही विवरण जारी किया है और ना ही नोट ऑफ डिसेन्ट लगाया है। राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 55 (5) के नियमों और राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देशो के तहत कमेटियों के गठन की कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।
सुशीला कंवर राजपुरोहित, महापौर, नगर निगम बीकानेर