कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि गांव और शहर की कोई निश्चित परिभाषा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। उन्होंने साल 1980 के बाद से वर्तमान तक विकसित जातीय परिदृष्य पर कहा कि तीस साल पहले तक किसानों पर कर्ज जैसी किसी चीज नहीं थी। भारतीय परिदृश्य में शहरीकरण व परिवर्तन कहां से आया, इस विषय पर सूक्ष्म अध्ययन की आवश्यकता है। समन्वयक प्रो. नारायण सिंह राव, सह-समन्वयक डॉ. मेघना शर्मा ने भी विचार रखे। समारोह में कुलसचिव राजेन्द्र सिंह डूडी, उपकुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल, प्रो. अनिल कुमार छंगाणी, प्रो. राजाराम चोयल, डॉ. जेएस खीचड़, डॉ. गिरिराज हर्ष, डॉ. प्रकाश सारण, डॉ. सुरेन्द्र गोदारा, डॉ. मंजू सिखवाल आदि उपस्थित थे।