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बिना सामान, सजा दी ‘दुकान’

locationबीकानेरPublished: Dec 16, 2019 11:39:03 am

Submitted by:

Atul Acharya

राजुवास में दुग्ध पार्लर: कम हो रहीं गाय, मांग के आधार पर नहीं हो रही दूध की पूर्ति

बिना सामान, सजा दी 'दुकान'

बिना सामान, सजा दी ‘दुकान’

बीकानेर. वेटरनरी विश्वविद्यालय के लिए देशी गाय के दूध की आपूर्ति करना ‘टेढ़ी खीर’ साबित हो रहा है। राजुवास के बीकानेर स्थित डेयरी फार्म में रोजाना बड़ी संख्या में लोग दूध लेने पहुंच रहे है, लेकिन विवि उनकी मांग के आधार पर पर्याप्त दूध नहीं दे पा रहा है। हाल ही विश्वविद्यालय ने अपना दूध पार्लर भी शुरू किया है। इसमें दूध, लस्सी, श्रीखंड व पनीर उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है। असल में हालत यह है कि इस डेयरी फार्म पर रोजाना संकलित दूध तो नियमित आने वाले उपभोक्ताओं की पूर्ति के लिए भी अपर्याप्त रहता है। अब नया दूध उत्पाद केन्द्र खुलने से मांग और बढ़ जाएगी। उधर, पशुधन अनुसंधान केन्द्र में राठी नस्ल के गोवंश की संख्या कम होती जा रही है। इसकी मुख्य वजह बजट को माना जा रहा है।

एक साल में आधे रह गए पशु
राजुवास के अनुसंधान केन्द्र में एक साल में देशी गोवंश (राठी नस्ल) की संख्या आधी रह गई है। पिछले साल जनवरी तक यहां 440 देशी गोवंश थे, इनमें 75 दुधारू थी। वर्तमान में इस केन्द्र में 210 गोवंश रह गए हैं, इसमें से दुधारू गोवंश महज 38 है। एेसे में दूध की मात्रा कम होना लाजिमी है। वर्तमान में सुबह व शाम को कुल 380 किलो दूध का उत्पादन है और इसकी बिक्री केन्द्र पर रोजाना हो जाती है। राजुवास प्रशासन का दावा है कि उच्च नस्ल व गुणवत्ता वाली बछडि़यां किसानों का मुहैया कराई जाती हैं, ताकि वे भी स्वरोजगार कर सकें।
बजट भी आधे से कम
अनुसंधान केन्द्र के प्रभारी डॉ. विजय बिश्नोई ने बताया कि इस साल राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एक करोड़ रुपए का बजट ही मिला है, जो पिछले साल से सवा सौ करोड़ रुपए कम है। पिछले साल २.२५ करोड़ रुपए आवंटित हुए थे। केन्द्र में यूजी, पीजी, पीएचडी के विद्यार्थी अनुसंधान करते है। यहां १० से २५ किलो तक दूध देने वाली गाय हैं।
यहां भी है फार्म
राजुवास के इस केन्द्र के अलावा दो और केन्द्र है। बीकानेर केन्द्र में राठी नस्ल का गोवंश है। वहीं कोडमदेसर व बीछवाल में भी राजुवास के फार्म है। वहां साइवाल, कांकरेज व थार नस्ल का गोवंश है।
पूर्ति का प्रयास

दूध तो उपलब्धता पर ही देंगे, लेकिन जो दूध मिल रहा है वह पूर्णत: शुद्ध है। जहां तक आपूर्ति की बात है, तो बीछवाल व कोड़मदेसर स्थित फार्म से दूध मंगवा कर पूर्ति का प्रयास किया जाएगा। साथ ही दूध उत्पाद बेचे जाएंगे।
-डॉ.विष्णु शर्मा, कुलपति, राजुवास

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