कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा के निर्देशानुसार ये विशेषज्ञ किसानों और बागवानी में रुचि रखने वालों को उचित सलाह, खाद व उर्वरक प्रबंधन तथा जल बचत के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन व इसके उचित इस्तेमाल के बारे में बताया जा रहा है।
ये पौधे तैयार बागवानी सलाहकार प्रो. इंद्रमोहन वर्मा ने बताया कि फलदार पौधों में नींबू, बेर, खेजड़ी, अनार, पपीता, फलसा, जामुन एवं अंगूर के पौधे तैयार हैं। वहीं छायादार पौधों में विश्वविद्यालय ने नीम, शीशम, शहतूत तथा अलंकृत पौधों में अशोक, बकायन, अरोकेरिया, चायना पाम, क्लोरोडेनडोरन, बोगनविला, क्रोटोन, गुड़हल तथा मोगरा के पौधे तैयार किए हैं। आमजन नर्सरी से अश्वगंधा, निरगुंदी, तुलसी, वज्रदंती तथा अर्जुन जैसे पौधे भी ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि जहां पानी की ज्यादा कमी हो तथा भूमि लवणीय या क्षारीय हो तो वहां 50 से 80 प्रतिशत पानी की बचत के लिए घड़ा सिंचाई पद्धति उपयोग में ली जानी चाहिए।
आधा दर्जन गांवों में किया पौधरोपण
बीकानेर. लूणकरनसर. पर्यावरण को बचाने तथा थार के रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने की मुहिम में मंगलवार को पीपेरां-मलकीसर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय समेत आधा दर्जन गांवों में पारिवारिक वानिकी के तहत पौधारोपण किया गया।
डूंगर कॉलेज प्रो. श्यामसुन्दर ज्याणी ने कहा कि इस क्षेत्र में पौधारोपण जीवनदायी सिद्ध होगा। प्रधानाचार्य अमरदेव के नेतृत्व में शाला स्टाफ, छात्र-छात्राओं व ग्रामीणों ने 150 पौधों का रोपण किया। कपूरीसर व मलकीसर में भी सरपंच मुरलीधर सारस्वत के नेतृत्व में पौधारोपण किया गया। इससे पूर्व ग्राम मनाफरसर व पंचारा अमरपुरा के स्कूलों में ग्रामीणों ने पौधारोपण किया।
कालू कस्बे के मुक्ति धाम में पौधरोपण किया गया। इसमें महंत मोहन दास, हजारीराम सारस्वत, सुरेश डूढ़ाणी, श्यामसुन्दर पिपलवा, जगदीश खंडेलवाल, किशनलाल शर्मा, बाबूलाल लेघा आदि उपस्थित थे। नापासर. यहां थाने में नापासर मित्र मंडल के तत्वावधान में पर्यावरण सरंक्षण के तहत पौधरोपण किया गया।