बीकानेरPublished: May 26, 2023 08:12:19 pm
Atul Acharya
-मोहल्लों में निश्चित समय पर पहुंचती है मोबाइल लाइब्रेरी
- अतुल आचार्य
आज की मोबाइल और सर्च इंजन वाली जीवनशैली में बीकानेर का यह अनूठा चल पुस्तकालय नई पीढ़ी को पुस्तकों से जोड़ रहा है। कभी तांगे पर संचालित होता था। अब यह लाइब्रेरी ई-वाहन पर आ गई है। खास बात यह कि ई बुक्स के जमाने में ई वाहन पर सवार यह मोबाइल लाइब्रेरी नई पीढ़ी को पुस्तकों से जोड़ रही है। वर्ष 1997 में अजित फाउंडेशन की ओर से चल पुस्तकालय की शुरुआत की गई थी। उस समय तांगे के माध्यम से यह चल पुस्तकालय गली-मोहल्लों में दस्तक देता था। संस्थान से जुड़े भवानीशंकर बताते है कि तांगे की टक..टक की आवाज के साथ ही मोहल्लेवासी धीरे-धीरे अपने घरों से बाहर आने लगते और इसके आसपास बड़ी संख्या में लोग पहुंच जाते और कहते तांगा पुस्तकालय आ गया। भरी दोपहर में एक बजे तांगे को पुस्तकों और मैग्जीन से सजाया जाता था। तांगे पर दरी, पुस्तकें, खिलौने कुछ रजिस्टर आदि सभी सामान लेकर यह यात्रा फाउंडेशन कार्यालय से रवाना होती थी। निश्चित दिन पर तय मोहल्ले एवं स्थान पर तांगा पुस्तकालय रुकता था। कई साल तक यह सिलसिला चला। अब तांगे की जगह ई-वाहन ने ले ली है। प्रदूषण से बचाव के लिए ई-वाहन का चयन किया गया है। इसकी डिजाइन एक छोटी लाइब्रेरी के रूप में की गई है। चल-पुस्तकालय में करीब दो सौ पुस्तकें ले जाते हैं।