संदीप ने शनिवार रात को कालू व धीरज को ठिकाने लगाने की सोच रखी थी। वह उनके गहरी नींद में सोने का इंतजार ही कर रहा था। धीरज व कालू जब गहरी नींद में थे तो वह धीरे से कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर घुसा और दोनों के सिर व चेहरे पर ताबड़तोड़ वार
कर दिए। चिल्लाने की आवाज सुनकर कमरे के दूसरी तरफ सो रहे श्रवण व आसु की नींद खुल गई। वहां का दृश्य देखकर एकबारगी वे घबरा गए। बाद में वे बीच-बचाव किया, लेकिन तब तक दोनों की जान जा चुकी थी।
वारदात के बाद आरोपी एक टैक्सी से श्रीडंूगरगढ़ की तरफ भाग गया। पुलिस अधीक्षक कार्यालय की साइबर सेल के कांस्टेबल दीपक कुमार से पल-पल की लोकेशन लेते हुए जेएनवीसी थाने के हैडकांस्टेबल अब्दुल सत्तार, कांस्टेबल रघुवीरदान, सूर्यप्रकाश, अमित कुमार दो घंटे तक उसके पीछे लगे रहे। आरोपी की जयपुर रोड की तरफ लोकेशन आ रही थी। लखासर गांव के पास टोल प्लाजा के पास उसकी लोकेशन बंद हो गई। पुलिस टीम वहां पहुंची और उन्होंने आरोपी की होटल व ढाबों में तलाश की। तभी एक युवक सड़क किनारे पैदल जाते दिखा। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, तो वह धोरों की तरफ भाग गया। तब पुलिस जवानों ने पीछा कर उसे दबोचा।
पुलिस के अनुसार वारदात के बाद आरोपी अपना मोबाइल फोन वहीं छोड़ गया और धीरज व
कालू का मोबाइल साथ ले गया। कालू का मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया तथा धीरज का चालू रखा।
सीआइ सिंह के मुताबिक संदीप ने एक साल पहले भी इस डेयरी पर काम किया था। वह तीन महीने पहले ही वापस आया था। गुरुवार को दिन में काम ज्यादा कराने की बात को लेकर तीनों में झगड़ा हुआ और हाथापाई भी हुई थी। उस समय धीरज व कालू ने उसे धमकी दी थी। तब डेयरी मालिक बृजेन्द्रसिंह ने तीनों को समझाबुझाकर मामला शांत करवा दिया। संदीप इस बात को लेकर रंजिश रखने लगा। सीआइ के मुताबिक आरोपी ने बताया कि धीरज व कालू उसे टॉर्चर करते थे। खुद काम नहीं करते और उससे ज्यादा काम कराते तथा गाली-गलौज भी करते। झगड़े के बाद उनको ठिकाने लगाने की ठान ली थी।
सीआइ गोविंद सिंह के मुताबिक संदीप का आपराधिक रेकॉर्ड है। उसने वह छह साल पहले भी अपने दोस्त की जान ले ली थी। संदीप ने चार मई, २०१२ को हरिपुरा गांव निवासी अपने दोस्त टेकचंद की मंदिर ले जाने के बहाने साथ साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी। उसका शव गांव से ढाई किलोमीटर दूर एक खेत में पड़ा मिला था।
डेयरी मालिक बृजेन्द्र सिंह के मुताबिक आरोपी संदीप करीब डेढ़ साल से बीकानेर जिले में काम कर रहा है। वह करीब एक साल पहले डेयरी में काम पर लगा। तब एक महीना २० दिन काम किया। इसके बाद गंगा जुबली गोशाला और बीछवाल स्थित गुर्जरों के यहां काम किया। वह वापस २८ नवंबर, १८ को काम पर लगा। उसका व्यवहार तो सब ठीक था, लेकिन दो दिन पहले हुई मामूली-सी बात पर एेसा कृत्य कर देगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। वारदात वाले दिन वह दिनभर धीरज व कालू के साथ बाइक पर घूमा था। शाम को वेटरनरी अस्पताल में दो गायों का इलाज कराकर डेयरी आया था।
कमरे का दृश्य देख उड़ गए होश
मजदूर श्रवणसिंह डरा-सहमा सा। लडख़ड़ाती जुबान में बताया कि रात को वह सो रहा था। कमरे में अचानक से चिल्लाने की आवाज सुनी। घबराकर उठा। कमरे का दृश्य देखा को होश उड़ गए। अपने साथी आसु को उठाया। हमने देखा कि संदीप धीरज व कालू पर लोहे की रॉड से ताबड़तोड़ वार कर रहा था। उनके सिर व चेहरे लहूलुहान थे। सिर व चेहरे पर रॉड से वार करने पर वे क्षत-विक्षत हो गए। आरोपी उन्हें तब तक मारता रहा, जब तक वे निढाल नहीं हो गए। बाद में वह लोहे की रॉड वहीं पटक गया। जाते समय कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर भाग गया।