घर-घर में सुनते पंचांग
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार सनातन धर्म में पंचांग सुनने का विशेष महत्व बतलाया गया है। नवसंवत्सर पर घर-घर में आस्थावान लोग नए हिन्दू वर्ष का पंचांग घर-परिवार के सदस्यों की उपिस्थति में सुनते है। सनातन धर्म में नित्य पंचांग सुनने का भी विशेष महत्व बताया गया है। नित्य पंचांग सुनने से गंगा स्नान के समक्ष पुण्यदायी बताया गया है। पंडित किराडू के अनुसार नित्य तिथि सुनने से आयु में वृद्धि होती है। नक्षत्र से पापों का नाश होता है। वार से शत्रु विनाश और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। करण से कल्याण और चन्द्र आदि के श्रवण से लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
घरों में संरक्षित है हस्तलिखित पंचांग
बीकानेर में रियासतकाल से पंचांग तैयार करने की व्यवस्था रही है। यहां के ज्योतिषाचार्यो, गणितज्ञो, पंडितों और पंचांग निर्माण करने वालों ने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन से देशभर में बीकानेर में तैयार होने वाले पंचांग की अलग पहचान बनाई है। शहर में कई परिवार ऐसे है जो पीढ़ी दर पीढ़ी पंचांग तैयार करने की परम्परा को आज भी आगे बढ़ा रहे है। घर-घर में दशकों पुराने हस्तलिखित पंचांग आज भी सुरक्षित व संरक्षित है। जो पंचांग निर्माण में यहां के लोगों की विद्धवता को प्रमाणित कर रहे है।
हस्तलिखित सारणियां
पंचांग निर्माण जटिल और श्रम साध्य कार्य है। पंचांग निर्माण के लिए सतत रुप से कार्य चलता रहता है। पंडित किराडू के अनुसार पंचांग निर्माण में प्राचीन हस्तलिखित सारणियों का यथा महादेवी, खेट, भम्रण,चन्द्रार्की, मकरन्द सारिणी एवं ग्रहलाघव,केतकी ग्रह गणितम आदि ग्रंथ पंचांग निर्माण में सहयोगी होते है। कई घरों में दशको पुराने पंचांग, सारणिया, ग्रंथ आदि सुरक्षित है।
ये है पंचांग के बारह महीने
अंग्रेजी कलेण्डर में जनवरी से दिसम्बर तक बारह महीनों के नाम होते है। इसी प्रकार पंचांग में भी एक साल में बारह महीने होते है जिनके नाम चैत्र, बैशाख, ज्येष्ठ, आसाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, पौष, माघ और फाल्गुन है।