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नेपाल यात्रा: सलोनी सीमा से काठमांडू तक की यात्रा कठिन और सुखद

locationबीकानेरPublished: Jun 04, 2022 10:14:44 pm

Submitted by:

Harendra

नेपाल यात्रा: सलोनी सीमा से काठमांडू तक की यात्रा कठिन और सुखद

नेपाल यात्रा: सलोनी सीमा से काठमांडू तक की यात्रा कठिन और सुखद

नेपाल यात्रा: सलोनी सीमा से काठमांडू तक की यात्रा कठिन और सुखद

नेपाल की यात्रा के दूसरे पड़ाव में लालगढ़ रेलवे स्टेशन से गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर रेल गाड़ी लगभग 4 घंटे देरी से पहुंची। रेल की यात्रा आनंद दायक होती है, सामुहिक भोजन के साथ दिनभर कुछ न कुछ खाते रहने का मज़ा हमने भी लिया। यात्रा उस समय ज्यादा अच्छी लगी जब बहादुरगढ़ में सुबह 5:30 बजे घर का बना चाय, नाश्ता और स्वादिष्ट भोजन लाडेसर सुनील जोशी लेकर आये । गोरखपुर से सोनाली बॉर्डर, भारत-नेपाल सीमा पर थोड़ी बहुत चैकिंग के बाद बॉर्डर तो पार हो गया । परन्तु हमारी बस को परमिट मिलने में लगभग छः घंटे का समय लगा। छः घंटे तक नेपाल की सीमा में खुले आकाश के नीचे तपते सूरज की साक्षी में बिताने पड़े । सलोनी सीमा से काठमांडू तक की यात्रा कठिन और सुखद है । एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ हमारे साथ- साथ नदी चलती रही, पहले से देरी की मार झेल रहे हम दौड़ना चाहते थे परन्तु उबड़खाबड़ सड़क गाड़ी को 20-25 की स्पीड से आगे बढ़ने नहीं देती। इन रास्तों से गुजरते सुखद अनुभूति तो होती है लेकिन वाहन चालक की सावधानी भी जरूरी है । हमारे सारथी प्रमोद कम बोलता परन्तु सुरक्षित चलता । लम्बी यात्रा के दौरान काठमांडू के रास्ते में चितवन जिला आता है । हम सभी को चाय -खाने की तलब हो रही थी । एक होटल दिखाई दिया न्यू नारायणी बीकानेरी होटल ,शुद्ध शाकाहारी । सभी को अच्छा लगा अपनेपन का अहसास हो रहा था । खाने-पीने के बाद हिसाब-किताब किया तो होटल के मालिक परमात्मा प्रसाद गुप्ता से जानकारी के लिए बीकानेर का ठिकाना पूछा तो दंग रह गया । उन्होंने बताया कि इधर बीकानेरी ब्राँड है इस नाम से ग्राहक खुद चले आते है शाकाहार का प्रतीक मानकर , हम तो बिहारी है । दूसरे देश में इतना भरोसा मेरे शहर के नाम का।
रास्ते में दो तरह के पहाड़ आते है पहले पहले सूखे पहाड़, समय-समय पर इनको काटा जाता है लेकिन इसके साथ नदी नहीं चलती केवल गहरी खाई जिसमे आकाश से टकराते बड़े बड़े पेड़ आँखों को सुकून देते । रास्ते उस समय और भी अधिक सुखद अनुभूति कराने लगे जब गीले पहाडों के साथ साथ शुरू हुआ सफर ,इन पहाडों पर ऊंचे और आकाश से बातें करते दुर्लभ पेड़ हमें बार बार मिलने का न्योता दे रहे थे, दूसरी तरफ नदी। काठमांडू पहुंचने में हमें पूरे 14 घंटे लगे। यहां हमारा प्रवास आनंद आश्रम में । आनंद आश्रम में शानदार व्यवस्थाएं, भोर में चार बजे पहुँच गए थें । आनंद आश्रम का लोकार्पण 2018 में हमारे प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री ने किया था।
बाबा केदारनाथ की यात्रा के दौरान ही पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन की इच्छा रही जो अब पूरी हुई है । ठीक समय पर तैयार हो गया , आशा और आयुष्मान के साथ पशुपतिनाथ पहुंच गए । विशाल मंदिर, आकर्षक शिवलिंग पांच मुँह के पशुपतिनाथ, चाँदी के बनाये चार दरवाज़े, विशालकाय नंदी , सैकड़ों बंदरों का जमावड़ा, परिसर में स्थित सैकड़ों मंदिर, मंदिर के दक्षिण में पांच सौ चौंसठ शिवलिंग है । प्राचीनकाल का साक्षी । यहां ऐसी मान्यता है कि पशुपतिनाथ के दर्शन से पशु योनि से मुक्ति मिल जाती है । यात्रा में शिवकुमार पुरोहित, समाजशास्त्री आशा जोशी, आयुष्मान जोशी, डॉ. चेतना आचार्य, सीनिया महाराज, रवि आचार्य एवं अश्वनी रंगा का परिवार का साथ रहा।

इन दिनों बीकानेर के लगभग 300 यात्रियों का दल काठमांडू की यात्रा पर है

राजेन्द्र जोशी
कवि कथाकार

नेपाल यात्रा: चन्द्रगिरी यात्रा
काठमांडू से छब्बीस किलोमीटर की दूरी पर एक अद्भुत दर्शनीय स्थल है चन्द्रगिरी । प्रकृति की गोद में स्थित चन्द्रगिरी की छत से काठमांडू शहर दिखाई देता है । पहाडों के बीच और पहाडों के भी ऊपर बैठे हैं भालेश्वर महादेव । नेपाल यात्रा के दूसरे ही को हमने चन्द्रगिरी जाने का कार्यक्रम बना लिया था। काठमांडू शहर के बीच रास्ते से पशुपतिनाथ मंदिर के आगे से राजमहल, उपराष्ट्रपति भवन, संसद भवन एवं इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के रास्ते से कलंकी क्षेत्र होते हुए ढळान चढती ऊँचाई वाली सड़कों से चन्द्रगिरी पहुँचा । पूरे रास्ते दोनों तरफ बड़े बड़े माल और सजा धजा बाज़ार । कलंकी क्षेत्र में चीन ने शानदार भूमि गत बाज़ार बनाया है । चन्द्रगिरी तक रोप-वें से जाना हुआ, रोप-वें का ढाई किलोमीटर का सफर लगभग दस मिनट में पूरा हो गया । दस मिनट के सफर ने इतना रोमांचित कर दिया की ट्रॉली में और समय बिताया जाना चाहिए । ट्राॅली के चारो तरफ बड़े बड़े पहाड़, पहाडों पर ऊँचे और हरे हरे पेड़ मानो ऐसे लग रहा था कि सड़क तो पेड़ो की बनी है ।

नेपाल यात्रा
नेपाल की राजधानी काठमांडू में घुमते-फिरते लगातार यह अहसास करते है कि हम हिन्दुस्तान की भीड़ के साथ ही सड़क पर चल रहे हैं । नेपाल यात्रा के दौरानकाठमांडू शहर के स्थानीय दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया । यातायात व्यवस्था और सड़क के किनारे आधे अधूरे निर्माण हमारे शहरों की याद दिलाते है। एक बात जो काठमांडू को विशेष बनाती है वह है यहाँ की हरियाली, काठमांडू में महिलाएँ पुरुषों के बराबर काम करती है, बाजार में दुकान-व्यापार के साथ ही यातायात पुलिस की कमान भी महिलाओं के हाथों में है ।

 

राजेन्द्र जोशी
कवि कथाकार
काठमांडू से पत्रिका के लिए

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