राजेन्द्र जोशी
कवि कथाकार
नेपाल यात्रा: चन्द्रगिरी यात्रा
काठमांडू से छब्बीस किलोमीटर की दूरी पर एक अद्भुत दर्शनीय स्थल है चन्द्रगिरी । प्रकृति की गोद में स्थित चन्द्रगिरी की छत से काठमांडू शहर दिखाई देता है । पहाडों के बीच और पहाडों के भी ऊपर बैठे हैं भालेश्वर महादेव । नेपाल यात्रा के दूसरे ही को हमने चन्द्रगिरी जाने का कार्यक्रम बना लिया था। काठमांडू शहर के बीच रास्ते से पशुपतिनाथ मंदिर के आगे से राजमहल, उपराष्ट्रपति भवन, संसद भवन एवं इन्टरनेशनल एयरपोर्ट के रास्ते से कलंकी क्षेत्र होते हुए ढळान चढती ऊँचाई वाली सड़कों से चन्द्रगिरी पहुँचा । पूरे रास्ते दोनों तरफ बड़े बड़े माल और सजा धजा बाज़ार । कलंकी क्षेत्र में चीन ने शानदार भूमि गत बाज़ार बनाया है । चन्द्रगिरी तक रोप-वें से जाना हुआ, रोप-वें का ढाई किलोमीटर का सफर लगभग दस मिनट में पूरा हो गया । दस मिनट के सफर ने इतना रोमांचित कर दिया की ट्रॉली में और समय बिताया जाना चाहिए । ट्राॅली के चारो तरफ बड़े बड़े पहाड़, पहाडों पर ऊँचे और हरे हरे पेड़ मानो ऐसे लग रहा था कि सड़क तो पेड़ो की बनी है ।
नेपाल यात्रा
नेपाल की राजधानी काठमांडू में घुमते-फिरते लगातार यह अहसास करते है कि हम हिन्दुस्तान की भीड़ के साथ ही सड़क पर चल रहे हैं । नेपाल यात्रा के दौरानकाठमांडू शहर के स्थानीय दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया । यातायात व्यवस्था और सड़क के किनारे आधे अधूरे निर्माण हमारे शहरों की याद दिलाते है। एक बात जो काठमांडू को विशेष बनाती है वह है यहाँ की हरियाली, काठमांडू में महिलाएँ पुरुषों के बराबर काम करती है, बाजार में दुकान-व्यापार के साथ ही यातायात पुलिस की कमान भी महिलाओं के हाथों में है ।
राजेन्द्र जोशी
कवि कथाकार
काठमांडू से पत्रिका के लिए