जानकारी के अनुसार पीबीएम के न्यूरो विभाग में मरीजों की नसों की जांच करने के लिए लाखों रुपए की लागत से मशीनों की खरीद वर्षों पूर्व हुई थी। लेकिन आए दिन मशीनें खराब हो जाती है। मंगलवार को भी मशीन खराब हो गई जिसके चलते यहां पहुंचे मरीजों को बिना जांच करवाए लौटना पड़ा। नसों की जांच के काम आने वाली एनसीएस मशीन करीब 15 साल पहले खरीदी गई थी। न्यूरो विभाग में प्रतिदिन 6 से 7 मरीजों की जांच की जाती है। एक मरीज की जांच करने में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है।
शिकायतों की सुनवाई नहीं
न्यूरो विभाग के कार्मिकों की मानें तो अस्पताल में दो मशीनें हैं जिसमें से एक बिल्कुल खराब है और दूसरी से जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। यह मशीन भी आए दिन खराब हो जाती है। यहां नई मशीन लगाने के लिए विभाग की ओर से पिछले एक साल से गुहार की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
न्यूरो विभाग के कार्मिकों की मानें तो अस्पताल में दो मशीनें हैं जिसमें से एक बिल्कुल खराब है और दूसरी से जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। यह मशीन भी आए दिन खराब हो जाती है। यहां नई मशीन लगाने के लिए विभाग की ओर से पिछले एक साल से गुहार की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
गरीब परिवारों पर आर्थिक भार पीबीएम प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल में नसों-नाडि़यों की जांच कराने पर चार सौ रुपए फीस ली जाती है, जबकि यही जांच निजी लैब से करवाने पर दो से तीन हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। मेडिकल प्रशासन की अनदेखी के चलते गरीब मरीजों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
शीघ्र खरीदेंगे एक और मशीन न्यूरो में नाडिय़ों की जांच करने वाली एक मशीन खराब है और एक चालू है, जिससे काम चल रहा है। एक नई मशीन सुपरस्पेशियलिटी सेंटर के लिए खरीदी गई है जो अभी तक चालू नहीं की गई है। मरीजों के लिए एक और नई मशीन शीघ्र खरीदेंगे।
डॉ. पीके बैरवाल, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल बीकानेर।
डॉ. पीके बैरवाल, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल बीकानेर।