– जो श्रमिक पलायन कर रहे हैं, उन्हें वापस लौटने का भी कहा जा रहा है। जिन लोगों ने स्पेशल ट्रेन में जाने का रजिस्ट्रेशन करवाया, वे अब कैंसिल करवा रहे हैं। राज्य और केन्द्र सरकार के भी लगातार यही प्रयास है कि उद्योग-धंधों को पटरी पर लाया जाए।
कुमार पाल गौतम, जिला कलक्टर बीकानेर – कोरोना संकट अभी जारी है। यह कितना चलेगा यह पता नहीं है। एेसे में हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी। यही बात उद्योग-धंधों पर लागू होती है। जो उद्योग-धंधे कमजोर हो गए हैं उनको सरकारी मदद की जरूरत है। सबसे पहले ट्रांसपोर्ट पूर्णतया चालू हो। आवागमन सुचारू होने से श्रमिकों की वापसी हो पाएगी।
पुखराज चौपड़ा, जिंस विशेषज्ञ बीकानेर – पशुपालकों के लिए कोराना काल चुनौती से कम नहीं रहा। दूध बीस रुपए किलो भी कोई लेने के लिए तैयार नहीं था। पशुपालक पशु आहार की कीमत २८ से ३० रुपए प्रति किलो चुकाते रहे। पशुपालकों को तुरंत राहत देने की जरूरत है। किसान के रीड़ की हड्डी टूट चुकी है।
नवीन सिंह, पशुपालन विशेषज्ञ, बीकानेर – वर्ष २०१९ की नई उद्योग नीति को पुरानी नीति में बदल दिया जाए तो व्यापारियों को कोरोना महामारी के चलते हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सकती है। वर्तमान में उद्योग धंधों की चेन टूट चुकी है। यहां के भुजिया-पापड़ तथा रसगुल्लों को ग्राहक नहीं मिल रहे। पापड़ का उत्पादन भी महज ४० फीसदी ही शुरू हो पाया है।
डीपी पचीसिया, अध्यक्ष बीकानेर जिला उद्योग संघ, बीकानेर – श्रमिकों के पलायन को नहीं रोका गया तो उद्योग-धंधों को पुन: पटरी पर लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने लॉकडाउन में उद्योगों को चालू करने की छूट दी, वहीं दूसरी ओर श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया है। केन्द्र व राज्य सरकार को उद्यमियों को धरातल पर राहत देने की दरकार है।
जुगल राठी, अध्यक्ष बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल, बीकानेर केन्द्र सरकार ने २५ मई से फ्लाइट शुरू कर दी। लेकिन होटल व्यवसाय को चालू करने की छूट नहीं दी। एेसे में अब अगर किसी जिले में व्यापार या अन्य किसी कारणों के चलते कोई फ्लाइट से यात्री आता-जाता है तो उसके ठहरने की कोई व्यवस्था तक नहीं है। सरकार की ओर से राहत की जरूरत है।
विनोद भोजक, पर्यटन व्यवसायी, बीकानेर
विनोद भोजक, पर्यटन व्यवसायी, बीकानेर
‘श्रमिकों का पलायन होने और लॉकडाउन के चलते भुजिया-रसगुल्ला की देश और विदेशों में मांग कम होने से यह चुनौती का समय है। श्रमिकों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाकर पलायन कुछ हद तक रोका जा सकता है। जैसे ही देशभर में और विदेशों में बाजार पूरी तरह खुलेंगे, मांग पैदा होगी और यह उद्योग रफ्तार पकड़ेगा।
– आशीष कुमार अग्रवाल, उद्योगपति एवं भुजिया-रसगुल्ला के निर्यातक बीकानेर। ‘यहां के उद्योगों की रीढ़ पशुपालन और कृषि है। एेसे में नरेगा को कृषि से जोड़ा जाए। निराई-गुड़ाई आदि कार्य नरेगा श्रमिकों से कराने से किसान को मदद मिलेगी और रोजगार सृजन होगा। नकली दूध के कारोबार पर अंकुश लगाया जाए। फसल बीमा क्लेम का भुगतान कराया जाए।
-शंभू सिंह, पदाधिकारी, भारतीय किसान संघ बीकानेर