ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को भीम ने धारण किया था इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत से मनुष्य को सभी पापों की मुक्ति के साथ ही मोक्ष मिलता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को दीर्घायु व मोक्ष की प्राप्ति होती है।