सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सहज इलाज मुहैया कराने के दावे और करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन पीबीएम अस्पताल में मरीजों के लिए इलाज कराना सहज नहीं है। मरीज अस्पताल पहुंचने के बाद घंटों इलाज के लिए भटकते रहते हैं। दानदाताओं की ओर से स्ट्रेचर व अन्य उपकरण मुहैया कराने के बावजूद मरीजों को स्ट्रेचर तक नहीं मिल पाती हैं।
शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक मानसिक रोगी (महिला) को एक्स-रे करवाने के लिए मानसिक रोग विभाग से एक्स-रे कक्ष ले जाना था, लेकिन स्ट्रेचर ही नहीं मिली। परिजनों ने काफी देर तक स्ट्रेचर ढूंढी, कर्मचारियों से पूछा, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। बाद में महिला रोगी को उसका पति एक सामाजिक कार्यकर्ता शिवरतन मारु की मदद से गोद में उठाकर ही ले गया।
पीबीएम में गंभीर व जरूरतमंद मरीजों को स्ट्रेचर नहीं मिल रही, जबकि सामान ढोने के लिए स्ट्रेचर उपलब्ध हो जाती है। हालत यह है कि वार्डों में एक-एक स्ट्रेचर ही है। ऐसे में अगर एक मरीज जांच के लिए स्टे्रचर ले जाए तो दूसरे मरीज को स्ट्रेचर मिलना मुश्किल है। स्ट्रेचरों को ताले लगा कर रखा जता है। ऐसे में मरीजों को परिजन गोद अथवा कंथे पर उठा कर ले जाते हैं।
नहीं हो रही सुनवाई स्ट्रेचर व व्हीलचेयर नहीं मिलने से मरीजों को परेशानी होती है। पीबीएम अस्पताल प्रशासन से ऐसी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए कई बार गुहार कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। शिवरतन मारु, सामाजिक कार्यकर्ता मामले की जांच करवा कर करेंगे कार्रवाई अस्पताल में स्ट्रेचर व व्हीलचेयर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। ऐसे में मरीजों को मुहैया नहीं कराना गंभीर बात है। इस मामले की जांच कराऊंगा। दोषी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। डॉ. केके वर्मा, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग