नॉम्र्स के अनुसार 5 हजार पशु संख्या पर एक वेटरनरी डॉक्टर होना आवश्यक है। इसके विपरीत राज्य सरकार ने 10 से 12 हजार पशुओं पर एक डॉक्टर का पद स्वीकृत किया हुआ है। इसमें से भी 60 प्रतिशत पद रिक्त हैं।उधर, केन्द्र सरकार ने पशुओं की बीमारी खुर पका-मुंह पका उन्मूलन और पशुओं में टीकाकरण का अभियान चलाया हुआ है, लेकिन वेटरनरी डाक्टर नहीं होने से ये अभियान राज्य सरकार कागजों में ही चला रही है।
वेटरनरी डॉक्टर्स संघर्ष समिति ने वेटरनरी डॉक्टरों की भर्ती नहीं करने के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। वेटरनरी डॉक्टर के शिष्टमंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री और पशुपालन मंत्री के नाम इस मुद्दे पर जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया। इसमें कहा गया है कि वेटरनरी डॉक्टरों के ९०० पदों पर भर्ती हो, ताकि पशु चिकित्सा व्यवस्थ दुरुस्त हो सके। साथ ही दूध, ऊन एवं अन्य पशु उत्पादों में वृद्धि हो सकेगी।
वेटरनरी डॉक्टर्स संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. पंकज मंगल , डॉ. तुषार महर्षि, डॉ. ओमप्रकाश बुढ़ानिया, डॉ. लूणाराम भाम्भू, डॉ. सुनील मीणा, डॉ. बुद्धाराम सीरवी, डॉ. नरेन्द्र सिंह, डॉ. जोरावर सिंह ज्याणी, डॉ. अजय खंडेलवाल
एवं डॉ. मयंक गोयल शिष्टमंडल में शामिल थे।
एवं डॉ. मयंक गोयल शिष्टमंडल में शामिल थे।