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नई शिक्षा नीति : अब सरकारी शिक्षक बनना हुआ और कठिन; शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध

locationबीकानेरPublished: Jun 06, 2019 10:38:46 am

Submitted by:

Jitendra

नई शिक्षा नीति जारी : कई चरणों में सफल होने के बाद ही होगी नियुक्ति; शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध
 

Now becoming a government teacher and hard

नई शिक्षा नीति : अब सरकारी शिक्षक बनना हुआ और कठिन

बीकानेर. केन्द्र सरकार ने इस साल नई शिक्षा नीति जारी की है। इसे पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा विभाग ने नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को और कठिन बना दिया है। अब अभ्यर्थी कई चरणों में चयनित होकर ही शिक्षक बन सकेंगे। नई शिक्षा नीति के लिए सभी शिक्षकों व शिक्षक संगठनों से सुझाव मांगे गए हैं। कई शिक्षक संगठनों ने नई शिक्षा नीति का विरोध किया है।
शिक्षक बनने के लिए अभ्यर्थियों की टेट में पहली स्क्रीनिंग होगी। इसके बाद अतिरिक्त विषय शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में संबंधित विषय में प्राप्त एनटीए परीक्षा के अंकों को भी शामिल किया जाएगा। तीसरे चरण में लिखित परीक्षा होगी।
लिखित परीक्षा से शिक्षक की स्थानीय भाषा पर पकड़, शिक्षण के प्रति जोश और उत्साह को नहीं आंका जा सकता, इसलिए परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की दोबारा स्क्रीनिंग होगी। चौथे चरण में साक्षात्कार के बाद डेमो प्रशिक्षण होगा। इसमें अभ्यर्थी को ५ से ७ मिनट तक कक्षा में पढ़ाना होगा। इसका निरीक्षण स्थानीय बीआरसी में कराया जाएगा। अगर यह संभव नहीं है तो टेलीफोन के माध्यम से साक्षात्कार और शिक्षण प्रदर्शन का वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नए बनने वाले कार्यालय में भेजा जा सकेगा।
संगठनों ने की संशोधन की मांग

राज्य के शिक्षक संगठन व शिक्षक नई शिक्षा नीति के विरोध में उतर आए हैं। शिक्षक संघ भगतसिंह व शिक्षक संघ शेखावत ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को पत्र लिखकर नई शिक्षा नीति में संशोधन की मांग की। शिक्षक नेताओं ने कहा कि बीआरसी पर होने वाला डेमो अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार का जरिया बनेगा, तीन साल का संवीक्षाकाल नहीं होना चाहिए। इसे एक साल ही रखा जाना चाहिए। एनटीए जो भी परीक्षा ले, वो नियुक्ति से पहले हो, टीईटी को बार-बार पास करने की वैधता खत्म हो, यूजीसी नेट की तरह सीटेट और टीईटी दोनों आजीवन मान्य हों। टीइटी पास करने के बाद भी लिखित परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है।
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