वर्ष २०१४ में सभी जेलों को ऑनलाइन करने के साथ-साथ बंदियों के डेटा ऑनलाइन करने का काम केन्द्र सरकार ने ऑपरेशन संजय के तहत शुरू किया। छह सालों में प्रदेश की केन्द्रीय कारागार, उप कारागार, खुली जेल, महिला जेल एवं हाईसिक्युरिटी जेल का डाटाऑनलाइन किया गया है। इन सभी जलों का डाटा वर्ष २००५ से अब तक का ऑनलाइन कर दिया गया है। केन्द्रीय कारागार जेलों का ऑनलाइन काम का जिम्मा सौंपा गया। जेलों में अलग से आईटी सेल गठित की गई। बीकानेर जेल में १० कार्मिकों की सेल यह काम कर रही है। हर दिन डाटा अपडेट किया जा रहा है।
यह है डिटेल
– बंदी का नाम, पता, पारिवारिक डिटेल
– कब सजा हुई, किस कोर्ट ने सजा सुनाई, क्या था अपराध
– पेरोल कब-कब मिली, कितने दिन की मिली, उसका व्यवहार कैसा है
– जमानत कब-कब मिली और किन कारणों से मिली
– बंदी कब तक किस-किस जेल में रहा
– बंदी से कौन-कौन मिलने आ रहा
– बंदी के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, वह बीमार है या नहीं, कौन-सी बीमारी से ग्रस्त है
– बीकानेर, अजमेर, जयपुर, भरतपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा संभाग के अलावा श्रीगंगानगर, अलवर व दौसा में केन्द्रीय कारागार।
– उप कारागार ६०
जिला जेल २६
महिला जेल ७
हाईसिक्युरिटी जेल १
बाल किशोर गृह १
खुली जेल ४०
हत्या का प्रयास २३९
बलात्कार/पोक्सो १२७
चोरी ९०
दहेज हत्या ५२
एनडीपीएस १८४
अन्य १६९ पूरे संभाग की जेलों का डाटा ऑनलाइन
बीकानेर जेल के सजायाफ्ता व विचाराधीन सभी १२७४ बंदियों का डाटा ऑनलाइन किया जा चुका है। इतना ही नहीं वर्ष २००५ से अब तक २३ हजार २६० बंदियों का डाटा ऑनलाइन दर्ज किया है। इतना ही नहीं संभाग के श्रीगंगानगर, चूरू व हनुमानगढ़ की सभी ेजेलों के बंदियों से संबंधित एक लाख ३३ हजार ३६७ बंदियों का डाटा ऑनलाइन किया गया है।
परमजीतसिंह सिद्धु, अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार
प्रदेश की सभी जेलों को ऑनलाइन किया जा चुका है। अब कोई भी जेल ऑनलाइन से वंचित नहीं है। इस पूरे काम करने में करीब पांच से छह साल का समय लगा है। बंदियों के साथ-साथ उनसे मिलने आने वाले करीब १० लाख लोगों का डाटा भी ऑनलाइन विभाग के पास मौजूद है। इस काम से बंदियों का रिकॉड मंगाने का झंझट नहीं है। हर बंदी का डाटा समय-समय पर अपटेड किया जा रहा है। इस पूरे काम के लिए अलग से आईटी सेल काम कर रही है।
विक्रमसिंह राणावत, पुलिस महानिरीक्षक बीकानेर रेंज