ऑटो मैटेड लाइसेंस ट्रायल ट्रेक बनने के बाद न केवल इस कार्य में पारदर्शिता आएगी, बल्कि निरीक्षकों की तथाकथित मनमानी भी नहीं हो सकेगी। राज्य सरकार ने ऑटो मैटेड लाइसेंस ट्रायल ट्रेक बनाने के लिए करीब 39 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं।
इसे बनाने की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग की एजेन्सी को सौंपी गई है। परिवहन विभाग के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि चार पहिया वाहन चालकों को ट्रायल ट्रेक पर गाड़ी चलानी होगी। जिस गाड़ी को वे ट्रेक पर चलाएंगे, उस पर विभाग की ओर से वायरलैस रिकॉर्डिंग कैमरा लगाया जाएगा।
कार के शीशे पर लगे कैमरे कम्प्यूटर से जुड़े होंगे, जो वाहन चालक को पास या फेल करेगा। शर्मा के अनुसार जिस ट्रेक पर गाड़ी चलाई जाएगी, उस ट्रेक पर मार्किंग बनाई जाएगी। अगर मार्किंग लाइन को गाड़ी का पहिया तीन बार से ज्यादा टच करता है, तो आवेदक को अनुत्तीर्ण माना जाएगा।
इतना ही नहीं वाहन चालक को रिवर्स गियर्स (पीछे की ओर) में भी गाड़ी को चलाकर टेस्ट पास करना होगा। इसमें भी निर्धारित होगा कि वाहन चालक कितनी बार मार्किंग लाइन को टच करता है।
इस ट्रेक को आठ के आकार में बनाया जाएगा। इसी प्रकार दुपहिया वाहन चालकों के लिए त्रिकोण के आकार में वाहन चलाना होगा। यह कार्य वाहन चालक को निर्धारित समय में पूरा करना होगा।
यूं मिलेगा परिणाम परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो ट्रेक पर वाहन चालक के गाड़ी चलाने का बाकायदा ग्राफ बनेगा, जिसे वाहन चालक को अनुत्तीर्ण और उत्तीर्ण होने की स्थिति में दिया जाएगा। ग्राफ के माध्यम से वाहन चालक स्वयं देख सकेगा कि उसने कहां-कहां गलतियां की है। बताया जाता है कि परिवहन विभाग में वाहन चालक की ड्राइविंग रिकॉर्डिंग कुछ महीने के लिए सुरक्षित भी रहेगी।
यहां बनेगा ट्रेक परिवहन विभाग के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि प्रदेश के बीकानेर सहित उदयपुर, पाली, अजमेर, कोटा, जयपुर, चित्तौडग़ढ़, भरतपुर, अलवर, दौसा, जोधपुर तथा सीकर जिले में स्थित परिवहन कार्यालय में पहले चरण में ट्रेक बनाए जाएंगे। इसके लिए सभी जिलों में बजट आवंटित कर दिया गया है। अगर स्वीकृत राशि में बजट शेष रहता है तो उसे अन्य कार्यालय में लगाया जा सकेगा।