पहले चरण में बीकानेर स्टेशन पर स्थित टीटीई लॉबी में बायोमेट्रिक मशीन लगाई गई है। इसमें डाटा अपडेट किए जा रहे हैं। इसके बाद थंब इंप्रेशन से टीटीई व अन्य स्टाफ की उपस्थिति लगाई जाएगी। नई व्यवस्था के तहत ट्रेन में चढऩे से पहले, फिर ड्यूटी देकर जिस स्टेशन पर टीटीई उतरेंगे वहां भी उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
यह मिलेगा फायदा
थंब इंप्रेशन मशीन सुचारु होने के बाद टीटीई स्टाफ की ड्यूटी की गणना हो जाएगी। मसलन जिस ट्रेन से टीटीई जाएगा उन्हें गन्तव्य स्टेशन पर ही उतरना होगा, बीच में उतर नहीं सकेंगे। इसके अलावा किस ट्रेन में कितने टीटीई चल रहे हैं, इसका अंदाजा भी थंब इंप्रेशन मशीन से पता चल सकेगा। रेलवे का दावा है कि इस व्यवस्था से किसी भी सूरत में अनियमितताएं नहीं होगी।
थंब इंप्रेशन मशीन सुचारु होने के बाद टीटीई स्टाफ की ड्यूटी की गणना हो जाएगी। मसलन जिस ट्रेन से टीटीई जाएगा उन्हें गन्तव्य स्टेशन पर ही उतरना होगा, बीच में उतर नहीं सकेंगे। इसके अलावा किस ट्रेन में कितने टीटीई चल रहे हैं, इसका अंदाजा भी थंब इंप्रेशन मशीन से पता चल सकेगा। रेलवे का दावा है कि इस व्यवस्था से किसी भी सूरत में अनियमितताएं नहीं होगी।
होगी मॉनिटरिंग
टीटीई लॉबी में मशीन स्थापित कर दी गई है। स्टाफ से जुड़ी सूचनाओं का संकलन किया जा रहा है। शीघ्र ही थंब इंप्रेशन की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इस व्यवस्था से हर तरह की मॉनिटरिंग रखी जा सकेगी। सभी की ड्यूटी टाइम का पता चल जाएगा।
सीआर कुमावत, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक।
टीटीई लॉबी में मशीन स्थापित कर दी गई है। स्टाफ से जुड़ी सूचनाओं का संकलन किया जा रहा है। शीघ्र ही थंब इंप्रेशन की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इस व्यवस्था से हर तरह की मॉनिटरिंग रखी जा सकेगी। सभी की ड्यूटी टाइम का पता चल जाएगा।
सीआर कुमावत, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक।
होगी ड्यूटी गणना
थंब इंप्रेशन मशीन लगने से रेलवे, आमजन और टीटीई सभी को फायदा होगा। प्रत्येक टीटीई को 14 दिन में 104 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। इस व्यवस्था से कम-ज्यादा की समस्या से निजात मिलेगा। साथ ही टीए-डीए की गणना भी स्वत: हो जाएगी। ट्रेन में टीटीई चढ़ा तो उसने पूरी ड्यूटी निभाई, या बीच में उतर गया, इसका पता भी चल जाएगा।
विनोद भटनागर, सेवानिवृत्त मंडल मुख्य टिकट निरीक्षक।
थंब इंप्रेशन मशीन लगने से रेलवे, आमजन और टीटीई सभी को फायदा होगा। प्रत्येक टीटीई को 14 दिन में 104 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। इस व्यवस्था से कम-ज्यादा की समस्या से निजात मिलेगा। साथ ही टीए-डीए की गणना भी स्वत: हो जाएगी। ट्रेन में टीटीई चढ़ा तो उसने पूरी ड्यूटी निभाई, या बीच में उतर गया, इसका पता भी चल जाएगा।
विनोद भटनागर, सेवानिवृत्त मंडल मुख्य टिकट निरीक्षक।