बुखार पीडि़त मरीजों को लेकर पहुंचे परिजन कर्मचारियों के आगे हाथ जोड़कर इलाज करने की विनती करते रहे। कई जगह मरीज व परिजन मंदिर में भगवान से प्रार्थना करते नजर आए। चिकित्सकों के अवकाश पर होने की सूचना पर ग्रामीण अंचलों से मरीज सीधे ही पीबीएम अस्पताल पहुंच रहे थे।
राज्य सरकार और सेवारत चिकित्सकों की एक-दूसरे को पटखनी देने की मंशा ने जनता का बुरा हाल कर दिया। सेवारत चिकित्सक दो दिन से भूमिगत हैं। चिकित्सकों के अभाव में शहर हो या ग्रामीण अंचल, चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई है। मंगलवार को हालात यह थे कि संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल व जिला अस्पताल में मरीजों के लिए खड़े होने तक जगह नहीं थी। जिला अस्पताल के हालात बेहद विकट थे।
सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार पर जाने से पीबीएम एवं जिला अस्पताल में सभी सामान्य ऑपरेशनों को टालना पड़ा। वहीं बेहद गंभीर रोगियों को ही अस्पताल में भर्ती किया गया। मंगलवार को आम दिनों की अपेक्षा भर्ती मरीजों की संख्या बेहद कम रही। सरकारी अस्पतालों का आलम यह था कि मेडिकल कॉलेज से संबद्ध चिकित्सकों में भी व्यवस्था पूरी नहीं हो पा रही थी।ऐसे में सीएचसी, पीएचसी में चिकित्सा व्यवस्था सुचार चल पाना नामुमकिन रहा।
पीबीएम अस्पताल में आम दिनों की अपेक्षा सोमवार व मंगलवार को ऑपरेशन काफी कम हुए। दो दिनों में जरूरी व गंभीर मरीजों के ही ऑपरेशन किए जा सके। मंगलवार को मर्दाना अस्पताल में महज चार ऑपरेशन हुए जबकि आमदिनों में ऑपरेशन का आंकड़ा 11 से 14 का रहता है।
आयुर्वेद विभाग की ओर से जिले के पीएचसी व सीएचसी पर करीब 48 आयुर्वेद चिकित्सक तैनात किए गए हैं। आयुर्वेद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हंसराज ने बताया कि जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर मांग की गई है कि जिन स्थानों पर आयुर्वेद चिकित्सकों को लगाया गया है वहां अतिरिक्त दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए तथा ईमरजेंसी के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाए।