लोगों का मानना है कि सूर्य के उतरायण में आने के साथ ही जमीन की तासीर में गर्माहट आने लगती है। इस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता है। वहीं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका वैज्ञानिक नाम ओरोबंकी है और यह परजीवी वनस्पति है, जो दूसरे पौधों की जड़ों से पनपती और पोषित होती है। कृषि अधिकारी कन्हैयालाल शर्मा के अनुसार यह एक तरह की खपतवार है और बदलते मौसम में अंकुरित होती है। यह वनस्पति कई जगह सरसों की फसल में नुकसानदायी बन जाती है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर पहल
बज्जू. उपखंड के बांगड़सर गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक श्रीराम ज्याणी शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं। वे विद्यालय परिसर में पौधों की देखरेख इतनी करते है कि हरियाली देखते ही बनती है। शिक्षक ज्याणी सफाई को भी विशेष महत्व देते हैं तथा पौधों को परिवार का सदस्य मानते हंै। वे विद्यालय परिसर सहित आसपास के क्षेत्र में १५० से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
बज्जू. उपखंड के बांगड़सर गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक श्रीराम ज्याणी शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं। वे विद्यालय परिसर में पौधों की देखरेख इतनी करते है कि हरियाली देखते ही बनती है। शिक्षक ज्याणी सफाई को भी विशेष महत्व देते हैं तथा पौधों को परिवार का सदस्य मानते हंै। वे विद्यालय परिसर सहित आसपास के क्षेत्र में १५० से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
शिक्षक ज्याणी को स्कूल में ही नहीं बल्कि गांव में भी प्रकृति प्रेमी दादा गुरु के नाम से भी जाने जाना लगा है। धोरों के बीच बसे राजकीय माध्यमिक विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक ज्याणी ने बताया कि स्कूल परिसर में पेड़ों की संख्या नाममात्र होने पर परिसर को हरा भरा बनाने के लिए अकेले ही ठान ली।
ग्रामीणों व स्कूल स्टाफ ने बताया कि शिक्षक ज्याणी अवकाश में भी विद्यालय पहुंचकर पेड़ों की देखभाल करते हैं। शिक्षक ज्याणी ने बताया कि वे बिश्नोई से समाज होने के साथ पर्यावरण प्रेमी भी है। उन्होंने स्कूल में कनेर, मेहंद, फूलों सहित अन्य तरह के करीब १५० पेड़ लगा चुके हैं।