scriptइस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता | Once the plant sprouts, there is a hint of ground heat | Patrika News

इस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता

locationबीकानेरPublished: Feb 17, 2020 05:42:59 pm

Submitted by:

Hari

bikaner news- बालु रेत में रंग बिरंगे फूलों से छटा बिखेर रहा ‘भंपोड़’, मरू भूमि की अनूठी वनस्पति

इस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता

इस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता

बीकानेर. ठुकरियासर. मरू भूमि में कई ऐसी वनस्पतियां अंकुरित होती है जो बदलते मौसम का संकेत मात्र होकर अल्प समय में ही सूख जाती है। ऐसी ही एक वनस्पति इन दिनों बालुई रेत में रंग बिरंगे फूलों से रंगी अपनी छटा बिखेर रही है। हालांकि क्षेत्रीय भाषा में भंपोड़ के नाम से पुकारे जाने वाले इस पौधे के फूलों से महक तो नहीं आती परन्तु रेतीले टीबों पर बसंत के साथ ही यह अपनी सतरंगी आभा बिखेरने लगती है।
लोगों का मानना है कि सूर्य के उतरायण में आने के साथ ही जमीन की तासीर में गर्माहट आने लगती है। इस पौधे के अंकुरित होते ही जमीनी गर्मी का संकेत मिल जाता है। वहीं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका वैज्ञानिक नाम ओरोबंकी है और यह परजीवी वनस्पति है, जो दूसरे पौधों की जड़ों से पनपती और पोषित होती है। कृषि अधिकारी कन्हैयालाल शर्मा के अनुसार यह एक तरह की खपतवार है और बदलते मौसम में अंकुरित होती है। यह वनस्पति कई जगह सरसों की फसल में नुकसानदायी बन जाती है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर पहल
बज्जू. उपखंड के बांगड़सर गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक श्रीराम ज्याणी शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं। वे विद्यालय परिसर में पौधों की देखरेख इतनी करते है कि हरियाली देखते ही बनती है। शिक्षक ज्याणी सफाई को भी विशेष महत्व देते हैं तथा पौधों को परिवार का सदस्य मानते हंै। वे विद्यालय परिसर सहित आसपास के क्षेत्र में १५० से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
शिक्षक ज्याणी को स्कूल में ही नहीं बल्कि गांव में भी प्रकृति प्रेमी दादा गुरु के नाम से भी जाने जाना लगा है। धोरों के बीच बसे राजकीय माध्यमिक विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक ज्याणी ने बताया कि स्कूल परिसर में पेड़ों की संख्या नाममात्र होने पर परिसर को हरा भरा बनाने के लिए अकेले ही ठान ली।
ग्रामीणों व स्कूल स्टाफ ने बताया कि शिक्षक ज्याणी अवकाश में भी विद्यालय पहुंचकर पेड़ों की देखभाल करते हैं। शिक्षक ज्याणी ने बताया कि वे बिश्नोई से समाज होने के साथ पर्यावरण प्रेमी भी है। उन्होंने स्कूल में कनेर, मेहंद, फूलों सहित अन्य तरह के करीब १५० पेड़ लगा चुके हैं।
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