ये विचार वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एके गहलोत ने मंगलवार को राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ऊंट उत्पादन प्रणाली में अवसर, चुनौतियां और इसका सुदृढ़ीकरण विषयक एक दिवसीय संवादात्मक बैठक में मुख्य वक्ता के तौर व्यक्त किए। यह बैठक एनआरसीसी व नाबार्ड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। प्रो. गहलोत ने कहा कि ऊंटपालक अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ इस व्यवसाय में आ रही चुनौतियों से संस्थान को अवगत करवाए ताकि वैज्ञानिक इन मुद्दों पर अनुसंधान कर सकें।
बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से जुड़े एसकेएनएयू जोबनेर के कुलपति प्रो. जीत सिंह संधू ने इस बैठक को सामयिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऊंट प्रजाति के संरक्षण एवं इसे आगे बढ़ाया जाना निश्चित रूप से अत्यंत कठिन हो गया है।
कृषक उत्पादन संगठन का हो गठन
बैठक में विशिष्ट अतिथि नाबार्ड के जयदीप श्रीवास्तव कहा कि ऊंट पालकों के लिए अलग से कृषक उत्पादन संगठन के निर्माण किया जाए ताकि उद्यमिता के लिए नाबार्ड के माध्यम से पशुपालकों को लाभ पहुंचाया जा सके। इस अवसर पर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. ओपी किलानियां ने भी पशुपालकों को विभागीय सुविधाओं एवं योजनाओं के बारे में अवगत करवाया।
तैयार होगी मार्गदर्शिका
केन्द के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि बैठक में प्राप्त सुझावों के आधार पर केन्द्र के अनुसंधान कार्यों को आगे बढाऩे की दिशा में मार्गदर्शिका तैयार की जाएगी ताकि यह प्रजाति बदलते परिवेश में अपनी प्रासंगिकता को बनाए रख सके। बैठक में आयोजित तकनीकी सत्रों में डॉ. वेद प्रकाश ने उष्ट्र दुग्ध उत्पादन के विभिन्न पहलुओं संबंधी जानकारी दी। वहीं डॉ. अमिता शर्मा ने उष्ट्र दुग्ध विपणन के विभिन्न पहलुओं को सदन के समक्ष रखा।
बैठक में अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. पीके उप्पल, डॉ. एसएमके नकवी, रमेश ताम्बिया, वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. हेमंत दाधीच एवं निदेशक प्रसार डॉ. आरके धुडिय़ा ने भी इस अवसर पर किसानों को संबोधित किया।