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पत्रिका सर्वे : अब भी याद आते है नोटबंदी के वो दिन…

locationबीकानेरPublished: Nov 08, 2017 12:31:56 pm

पत्रिका के सर्वे में 74 फीसदी लोगों ने माना नोटबंदी का फैसला सही

notebandi
नोटबंदी को एक साल पूरा हो गया है। पिछले साल आठ नवम्बर को अचानक रात 8 बजे प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ देश ही नहीं, दुनियाभर में फैले भारतीयों में खलबली मचाने और पूरे विश्व का ध्यान खींचने वाल यह फैसला लोगों के जेहन में आज भी ताजा है।
आंखों के सामने आज भी ताजा है सब नजारा

नोटबंदी के दौरान एटीएम और बैंकों में लगी लाइनें, जेब में पैसा होते हुए भी उधारी मांगने, घरों में बचत के रखे 500 और 1000 के नोट को बदलवाने की जद्दोजहद व काली कमाई वालों के चेहरे पर डर और भय के भाव। यह सब नजारा 95 प्रतिशत लोगों की आंखों के सामने आज भी ताजा है।
राजस्थान पत्रिका ने किया सर्वे

‘राजस्थान पत्रिका’ ने नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर बीकानेर इलाके के लोगों के बीच सर्वे किया। इसमें नोटबंदी से जुड़े 9 सवाल लोगों से पूछे गए। इसमें आधे लोगों का मानना था कि नोटबंदी का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ।
सर्वे में 90 प्रतिशत लोगों का मानना था कि सरकार नोटबंदी के निर्णय की तरह और भी कोई बड़ा फैसला अचानक ले सकती है।

पत्रिका के सवाल और लोगों के जवाब
1. क्या नोटबंदी का फैसला सही था?
74% हां
26% नहीं
2. नोटबंदी का उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं?
50% हां
50% नहीं

3. क्या इसका असर अब तक बरकरार है?
82% हां
18% नहीं

4. क्या नोटबंदी ने मितव्ययता सीखा दी?
38% हां
62% नहीं
5. पुराने नोट क्या आपको अब भी याद आते हैं?
95% हां
5% नहीं

6. नोटबंदी के बाद क्या ई- पेमेंट को बढ़ावा मिला है?
58% हां
42% नहीं

7. क्या ई-पेमेंट आपको सुविधाजनक लगता है?
50% हां
50% नहीं
8. क्या नोटबंदी का भ्रष्टाचार पर कोई असर पड़ा है?
26% हां
74% नहीं

9. नोटबंदी का फैसला अचानक हुआ, क्या आपको लगता है कि सरकार फिर कोई बड़ा फैसला अचानक सुना देगी?
90% हां
10% नहीं
पहले भी हुई थी नोटेबंदी
इससे पहले 1946 में भी 1000 और 10,000 के नोटों को बैन किया गया था। 1954 में 5000, 1000 और 10,000 के नए नोट शुरू किए। 1978 में 5000, 10000 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे।
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