scriptपीबीएम में ऑपरेशन लॉक, 198 से आंकड़ा पहुंचा महज 7 | Operation lock in PBM, only data reached from 198 | Patrika News

पीबीएम में ऑपरेशन लॉक, 198 से आंकड़ा पहुंचा महज 7

locationबीकानेरPublished: May 20, 2020 11:48:44 am

Submitted by:

Jai Prakash Gahlot

केस एक :- ५० वर्षीय पार्वती देवी। बेटे के साथ बाजार जाते समय बाइक से गिर गई। पैर में चोट लगी। चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी लेकिन पैर में सूजन ज्यादा होने से सप्ताहभर इंतजार करने को कहा। इसी बीच २२ मार्च को लॉकडाउन घोषित हो गया। तब से अब तक दो महीने से बिस्तर पर है। केस दो :- १९ वर्षीय नरेन्द्र सड़क हादसे में घायल हो गया। कंधे की हड्डी फेक्चर हो गई। ऑपरेशन नहीं होने के कारण पिछले ५२ दिन से बिस्तर पर है। लॉकडाउन नहीं होता तो वह अब तक ठीक हो चुका होता। वह चाहता है कि अब भी उसका ऑपरेशन हो जाए तो

पीबीएम में ऑपरेशन लॉक, 198 से आंकड़ा पहुंचा महज 7

पीबीएम में ऑपरेशन लॉक, 198 से आंकड़ा पहुंचा महज 7

जयप्रकाश गहलोत
बीकानेर। कोरोना वायरस के बाद प्रदेशभर में सामान्य बीमारियों के इलाज व ऑपरेशन की व्यवस्था बुरी तरह से लडख़ड़ा गई। लॉकडाउन के बाद सरकारी अस्पतालों में रुटीन के ऑपरेशन भी लॉक हो गए हैं। आमजन के लिए कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों का उपचार कराना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल में लॉकडाउन के कारण करीब ५४ दिनों में ७०० से अधिक ऑपरेशन टल रहे हैं। इसके कारण भी अलग-अलग है। परिवहन के साधन नहीं चल रहे है, लेकिन जैसे-तैसे निजी वाहन कर मरीज अस्पतालों में भी पहुंच रहे है। कोविड-१९ के वायरस संक्रमण के खतरे के मद्देनजर चिकित्सकों ने लम्बे समय से इन ऑपेशन को टाल रखा है। सरकारी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी मरीजों के ही ऑपरेशन किए जा रहे है। रुटीन के ऑपरेशन नहीं होने से बाहर से आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
………………
यह है मरीजों का दर्द
कोलायत तहसील के खेतसिंह ने बताया कि उसे मस्से की तकलीफ है। अब ऑपरेशन कराने के लिए तीन बार अस्पताल आ चुका हूं लेकिन कोरोना वायरस के चलते चिकित्सक ऑपरेशन के लिए टाल मटोल कर रहे हैं। निजी अस्पताल में इनका खर्चा 20 से 25 हजार रुपए तक का आता है। जबकि सरकारी अस्पताल में बैर खर्च में यह ऑपरेशन हो सकता है। सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन करानेे से महज खाने व रहने का खर्च और जो दवा नहीं मिले वह बाजार से लाने में खर्च होता है जो काफी कम पड़ता है। ऐसे में बिना ऑपरेशन कराए ही गांव आ गए।
कब-कब-कितने ऑपरेशन
माह मेजर माइनर कुल
जनवरी १६९ २९ १९८
फरवरी १६५ १४ १७९
मार्च १०७ २४ १३१
अप्रेल ०५ ०२ ०७
मई ०४ ०३ ०७ (अब तक (ट्रोमा सेंटर))

……….
इनका यह कहना
इमरजेंसी ऑपरेशन हम कर रहे है। कोरोना संक्रमण के चलते रुटीन के ऑपरेशन नहीं पा रहे है। यदि कोई गाइडलाइन आती है तो रुटीन के ऑपरेशन के लिए भी तैयार है।
– डॉ.बीएल खजोटिया, प्रभारी ट्रोमा सेंटर एवं प्रोफेसर आर्थोपेडिक विभाग
…………………

गंभीर व लाइफसेविंग वाले कैंसर रोगियों को कीमोथैरेपी दे रहे हैं। पहले जहां ९० से ९५ मरीजों को कीमोथैरेपी देते थे वहीं अब ४० से ४५ को दे रहे हैं। यह आंकड़ा भी अभी लॉकडाउन में छूट के बाद बढ़ा है। कैंसर अस्पताल में पहुंचने वाले हर मरीज को संपूर्ण इलाज मुहैया कराने की व्यवस्था कर रखी है।
– डॉ. एचएस कुमार, विभागाध्यक्ष आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र
……………………


कोरोना के चलते वर्तमान दौर में इमरजेंसी ऑपरेशन चालू है लेकिन रुटीन ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं लेकिन लॉकडाउन .04 के बाद रुटीन के ऑपरेशन चालू करवाने का प्रयास करेंगे। सरकार की ओर से रुटीन ऑपरेशन के संबंध में नई गाइडलाइन आएगी तो रुटीन ऑपरेशन भी शुरू कर देंगे।
-डॉ. मोहम्मद सलीम, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो