यह है मरीजों का दर्द
कोलायत तहसील के खेतसिंह ने बताया कि उसे मस्से की तकलीफ है। अब ऑपरेशन कराने के लिए तीन बार अस्पताल आ चुका हूं लेकिन कोरोना वायरस के चलते चिकित्सक ऑपरेशन के लिए टाल मटोल कर रहे हैं। निजी अस्पताल में इनका खर्चा 20 से 25 हजार रुपए तक का आता है। जबकि सरकारी अस्पताल में बैर खर्च में यह ऑपरेशन हो सकता है। सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन करानेे से महज खाने व रहने का खर्च और जो दवा नहीं मिले वह बाजार से लाने में खर्च होता है जो काफी कम पड़ता है। ऐसे में बिना ऑपरेशन कराए ही गांव आ गए।
माह मेजर माइनर कुल
जनवरी १६९ २९ १९८
फरवरी १६५ १४ १७९
मार्च १०७ २४ १३१
अप्रेल ०५ ०२ ०७
मई ०४ ०३ ०७ (अब तक (ट्रोमा सेंटर)) ……….
इनका यह कहना
इमरजेंसी ऑपरेशन हम कर रहे है। कोरोना संक्रमण के चलते रुटीन के ऑपरेशन नहीं पा रहे है। यदि कोई गाइडलाइन आती है तो रुटीन के ऑपरेशन के लिए भी तैयार है।
– डॉ.बीएल खजोटिया, प्रभारी ट्रोमा सेंटर एवं प्रोफेसर आर्थोपेडिक विभाग
– डॉ. एचएस कुमार, विभागाध्यक्ष आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र
कोरोना के चलते वर्तमान दौर में इमरजेंसी ऑपरेशन चालू है लेकिन रुटीन ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं लेकिन लॉकडाउन .04 के बाद रुटीन के ऑपरेशन चालू करवाने का प्रयास करेंगे। सरकार की ओर से रुटीन ऑपरेशन के संबंध में नई गाइडलाइन आएगी तो रुटीन ऑपरेशन भी शुरू कर देंगे।
-डॉ. मोहम्मद सलीम, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल