चर्चा में डॉ. शिवकुमार भनोत ने चिन्ता जताते हुए कहा कि बीकानेर के पर्यटन को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए अभी तक प्रयास नहीं हुए। खासकर राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर भी उदासीनता बरती जा रही है। यही वजह है कि यहां के पर्यटन की क्या खूबियां हैं, इसको लेकर किसी तरह का ब्लू प्रिंट ही तैयार नहीं किया गया। पर्यटन की दृष्टि से यहां सभी चीजें मौजूद हैं, लेकिन इसको बढ़ाने के लिए लोक मानस को एक मंच पर आना जरूरी है। संयोजक अनिल गुप्ता ने कहा कि पाटा सबसे सशक्त माध्यम है, इस पर बैठकर संवाद किया जाए। उन्होंने कहा बीकानेर शहर की सुन्दर हवेलियांे की स्थापत्य कला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, लेकिन आज भी शहर में साफ-सफाई का अभाव है। उन्होंने रामपुरिया हेवलियों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके आसपास हर समय गंदगी रहती है। इसके लिए प्रशासिक स्तर पर भी प्रयास होने चाहिए। साथ ही लोग भी पाटे पर बैठकर इस विषय पर समूह चर्चा करें।
संवाद में शामिल पूजा बेदी ने कहा कि बीकानेर में महल, किले, यहां का हेरिटेज बेजोड़ है। जो किसी को भी आकृर्षित करने में पूर्ण है। लेकिन अभी भी इस शहर की खूबियों को दुनिया के सामने लाने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता समझी जा रही है। इसके लिए यहां पर फेस्टिवल होने चाहिए, इसमें यहां के खान-पान की खासियतों को उजगार किया जाए। पर्यटक समझे उस तरह की भाषा में प्रचार-प्रसार करें। इसमें सभी मिलकर प्रयास करें। जोधपुर से आए डॉ. राम गुप्ता ने आधारभूत ढांचे को और मजबूत करने, साथ ही यहां पर पर्यटन लिहाज से सुविधाएं बढ़ाने की बात कही। जयपुर से आई धर्मेन्द्र कंवर ने कहा कि यहां का हेरिटेज समृद्ध है।