नवसंवत्सर पर राहगीरों का स्वागत कुमकुम अक्षत तिलक कर किया जाएगा। मिश्री और नीम की पत्ती से मुंह मीठा करवाया जाएगा। नवसंवत्सर के पहले दिन लोग मंदिरों में दर्शन-पूजन कर बड़े-बुजुर्गो से आर्शीवाद प्राप्त करेंगे। विभिन्न संगठनों की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन कर नवसंवत्सर का स्वागत किया जाएगा। घर-घर में कालसूचक गणना पंचांग का पूजन और वाचन की परम्परा का निर्वहन किया जाएगा।
राजा चन्द्र देव और मंत्री पद पर मंगल
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार नूतन संवत्सर 2078 का शुभारंभ मेष लग्न में होगा। इस बार नवसंवत्सर का नाम राक्षस है और वर्ष का राजा चन्द्र देव, उप देव मंगल एवं मंंत्री पद पर मंगल अधिष्ठित है। धान्येश का अधिपति बुध और मेघेश वर्षा का मालिक मंगल है। वर्षा का मालिक भी मंगल होने से कही कही बाढ़ व कही अकाल दुर्भिक्ष के कारण अशान्ति रहेगी। फिर भी राजा का पद पर चन्द्र एवं धान्यपति बुध होने से मिश्रित फल मिलेगा। चन्द्र राजा के कारण सुख, शान्ति, अच्छी पैदावार होगी। जिससे प्रजा सुखी रहेगी।
पंचांग पूजन और वाचन की परम्परा
नवसंवत्सर के दिन नवसंवत्सर के पंचांग का पूजन और पंचांग सुनने की विशेष परम्परा है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार नवसंवत्सर पर घर-परिवार के सदस्य और वैष्णव मंदिरों में विशेष रूप से पंचांग सुना जाता है। पंडित किराडू के अनुसार नूतन संवत्सर के दिन संवत्सर का पूजन एवं पंचांग का पूजन एवं वाचन किया जाता है। इस दिन पंचांग पूजन एवं सुनने का ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। पंडित किराडू के अनुसार इस दिन एवं नित्य पंचांग सुनने से गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण एवं चन्द्र राशि का नित्य सुनने से तिथि से आयु की वृद्धि, नक्षत्र से पाप नाश, वार से शत्रु नाश, योग से सुख सम्पति की वृद्धि, करण से नित्य कल्याण तथा चन्द्र से लक्ष्मी की वृद्धि होती है।