पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व बताया गया है।सावन में पार्थिव शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व है। पार्थिव शिवलिंग अंगुष्ठ आकार का या इससे अधिक 12 इंच तक आकार का बनाया जा सकता है। पंडित किराडू के अनुसार विभिन्न कार्यो के लिए शुद्ध मिट्टी में वंश लोचन, चावल का चूर्ण, यज्ञीय भस्म, देशी गाय का गोबर व घी मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाता है।
रोज 4500 से 5100 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण
पार्थिव शिवलिंग पूजन अनुष्ठान से जुड़े पंडित संजय श्रीमाली और पंडित गोर्वधन व्यास के अनुसार सावन में प्रतिदिन 4500 से 5100 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है। सावन में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनका अभिषेक व पूजन किया जाता है। प्रतिदिन बनने वाले पार्थिव शिवलिंग का उसी दिन प्राण प्रतिष्ठा, पूजन, अभिषेक कर महाारती की जाती है।
चल रहा पूजन-अनुष्ठान
शहर में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग पूजन अनुष्ठान विभिन्न स्थानों पर चल रहे है। नत्थूसर गेट के अंदर मानेश्वर महादेव मंदिर परिसर में पंडित चन्द्रशेखर श्रीमाली, पंडित अमित और पंडित प्रदीप श्रीमाली के सानिध्य में पार्थिव शिवलिंग पूजन अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। संजय श्रीमाली के अनुसार इसमें नन्द किशोर, अजय, दीपक, गोपाल, बसंत श्रीमाली आदि सहयोग कर रहे है। वहीं जनता प्याऊ के पास किसनानी व्यास तलाई क्षेत्र में पंडित गोर्वधन व्यास के सानिध्य में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग पूजन अनुष्ठान चल रहा है। इक्किसियां गणेशजी मंदिर परिसर में पंडित राजेन्द्र किराडू के सान्निध्य में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक पूजन किया गया।